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एक तिहाई गैर शिक्षकेतर कर्मियों से ही विवि चला रहे हैं कामकाज

बिहार के पारंपरिक विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी के साथ-साथ गैर शिक्षकेतर कर्मियों की भारी कमी है.

स्थायी नियुक्ति की व्यापक प्रक्रिया करीब दो दशकों से बाधित

संवाददाता,पटना

बिहार के पारंपरिक विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी के साथ-साथ गैर शिक्षकेतर कर्मियों की भारी कमी है. इसकी वजह से विश्वविद्यालयों में प्रशासनिक और प्रबंधन के कार्य में बाधा आ रही है. सूत्रों के अनुसार राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अभी गैर शैक्षिकेतर स्टाफ की संख्या 5641 है. सेंशन पोस्ट की तुलना में यह संख्या मुश्किल से एक तिहाई ही है. गैर शिक्षकेतर स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया दो दशकों से लटकी है. इस संदर्भ में अंतिम बार इनकी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के लिए शिक्षा विभाग के साथ विश्वविद्यालयों की बैठक इसी साल मार्च और अप्रैल में हुई थी. इसमें तय हुआ था कि विभागीय पोर्टल पर सभी विश्वविद्यालय अपनी-अपनी रिक्तियां अविलंब अपलोड करें. रिक्तियों के आधार पर नियुक्तियों के लिए कर्मचारी चयन आयोग को अधियाचना भेजी जायेगी. इसी तरह राजभवन में हाल ही में हुई बैठक के दौरान समर्थ पोर्टल को प्रभावी करने के संदर्भ में बात की गयी. इसमें कई कुलपतियों ने बताया था कि समर्थ पोर्टल को संचालित करने उनके पास तकनीकी स्टाफ नहीं है. इस पर बताया गया कि शिक्षा विभाग इन कर्मचारियों की नियुक्ति करके विश्वविद्यालयों को देगा.

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