Patna: बिहार में कानून का राज और जेलों में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता एक वीडियो इन दिनों वायरल है. पटना जिले के मसौढ़ी उपकारा से सामने आए इस वीडियो में बंद कैदी न सिर्फ शराब और गांजा पीते दिखे, बल्कि मोबाइल फोन से बातचीत करते हुए खुद ही उस पूरी ‘नशे की महफिल’ को रिकॉर्ड करते नजर आए.
वीडियो के वायरल होते ही जेल प्रशासन की नींद उड़ गई और आनन-फानन में मामले की जांच शुरू कर दी गई है.
DIG का औचक निरीक्षण, हर बैरक की तलाशी
जेल DIG नवीन कुमार झा और बेउर जेल अधीक्षक सह DIG नीरज कुमार झा मसौढ़ी जेल पहुंचे. वहां उन्होंने करीब 5 घंटे तक चप्पे-चप्पे की जांच की. DIG ने माना कि यह वीडियो मसौढ़ी जेल के अंदर का ही है. उन्होंने बताया कि जिन कैदियों को वीडियो में देखा गया है, वे सभी अब भी जेल में ही बंद हैं.
कैदियों पर FIR, जेलकर्मियों पर गिरी गाज
वीडियो की पुष्टि के बाद 6 कैदियों के खिलाफ मसौढ़ी थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. इनमें दीपक उर्फ भोगी, मोहम्मद इमाम, विपिन कुमार, गोलू कुमार, अजीत कुमार और बोतल कुमार उर्फ बबलू के नाम शामिल हैं. इधर, जेल अधीक्षक ने कई अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. सूत्रों के मुताबिक, जेलकर्मियों की भूमिका की भी जांच हो रही है, क्योंकि बिना अंदरूनी सहयोग के जेल में शराब, गांजा और मोबाइल नहीं पहुंच सकते.
10 साल की शराबबंदी, फिर जेल में कैसे पहुंची शराब?
बिहार में पिछले एक दशक से शराबबंदी लागू है, लेकिन अगर जेल जैसे हाई सिक्योरिटी स्थानों तक शराब पहुंच रही है, तो ये सिर्फ कानून के उल्लंघन की बात नहीं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल है. कैदियों के पास दो-दो मोबाइल, गांजा और शराब यह सब कुछ बिना किसी मिलीभगत के संभव नहीं लगता. DIG ने स्पष्ट किया कि जांच के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर सख्त कार्रवाई होगी.
गृह विभाग को सौंपा जाएगा गोपनीय रिपोर्ट
निरीक्षण के बाद DIG ने बताया कि विस्तृत रिपोर्ट गृह विभाग को सौंपी जाएगी, जो आगे की कार्रवाई तय करेगा. उन्होंने कहा कि जांच की गोपनीयता बनाए रखना जरूरी है, लेकिन रिपोर्ट के आधार पर कई बड़े फैसले लिए जा सकते हैं.
Also Read: बिहार में नक्सलियों का मंसूबा हुआ फेल, दहलने से बचा ये इलाका
न्यायिक प्रणाली की गरिमा को कर रहा है यह वीडियो शर्मसार
इस पूरी घटना ने न सिर्फ जेल प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि यह भी बताया है कि जेल अब सिर्फ सज़ा काटने की जगह नहीं, बल्कि ‘सुविधा संपन्न कैद’ का अड्डा बनते जा रहे हैं. कैदी बेखौफ हैं, जेलकर्मी लापरवाह और व्यवस्था दिखावटी. ऐसे में सुधार के लिए सिर्फ जांच नहीं, व्यवस्था में बड़े बदलाव की जरूरत है.