Patna News: पटना जिले में सरकारी स्कूलों की जमीन अब शिक्षा विभाग की निगरानी में आएगी. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर जिला शिक्षा कार्यालय ने जिले के सभी सरकारी स्कूलों की जमीन की मापी कराने का निर्णय लिया है. इस कदम का मुख्य उद्देश्य है, स्कूल परिसरों की जमीन को अतिक्रमण से बचाना, उसका रिकॉर्ड तैयार करना और विकास कार्यों को बढ़ावा देना.
जिले में प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक कुल 3,400 स्कूल हैं. लेकिन, हैरानी की बात यह है कि अब तक विभाग के पास इन स्कूलों के पास कितनी जमीन है, इसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है. यह लापरवाही कई वर्षों से बनी हुई थी, जिसके कारण कई स्कूलों की जमीन पर स्थानीय लोगों ने कब्जा कर लिया है.
शहरी और ग्रामीण इलाकों में जमीन पर कब्जा
सिर्फ सुदूर ग्रामीण इलाकों में ही नहीं, बल्कि पटना शहर के भीतर भी कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जिनके खेल मैदान या परिसर पर स्थानीय नागरिकों ने कब्जा जमा लिया है. यह स्थिति अब बदलेगी. जिला शिक्षा कार्यालय ने कहा है कि सभी स्कूलों की जमीन की मापी कर भू-राजस्व रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा और जिला स्तर पर उसका रख-रखाव सुनिश्चित किया जाएगा.
इसके लिए हर जिले में भू-राजस्व अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी. एक अलग संभाग बनाया जाएगा, जहां प्रखंड और जिला स्तर पर स्कूलों की जमीन से संबंधित सभी दस्तावेज, नक्शे और मापी के आंकड़े दर्ज किए जाएंगे. इससे जमीन विवादों और भविष्य में कब्जे की स्थिति से निपटना आसान होगा.
मापी के बाद सामने आएगी सच्चाई
कई स्कूल दानदाताओं की जमीन पर वर्षों से संचालित हो रहे हैं. परंतु अब दानदाताओं की संतानें उस जमीन पर दावा करने लगी हैं. चूंकि रिकॉर्ड नहीं है, ऐसे मामलों में स्कूलों को कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ता है. अब मापी के बाद यह स्पष्ट हो सकेगा कि दान में कितनी जमीन दी गई थी. शिक्षा विभाग संबंधित विभाग से नक्शा निकलवाकर इसका सत्यापन करेगा.
जहां भी अतिक्रमण पाया जाएगा, वहां से प्रशासन की मदद से कब्जा हटाया जाएगा. फिर उस जमीन की घेराबंदी कर विकास कार्य शुरू किया जाएगा, जैसे–स्कूल के लिए नए कमरे बनाना, मैदान का विकास, बाउंड्री वॉल बनाना आदि.
रिकॉर्ड में लाया जाएगा पारदर्शिता
स्कूलों की जमीन की मापी के लिए स्थानीय अंचल अधिकारी और अमीन की सहायता ली जाएगी. अंचल अधिकारियों को पत्र लिख कर मापी के लिए जरूरी संसाधन और मानवबल की मांग की जा रही है. साथ ही, नक्शे का सत्यापन कर यह भी तय किया जाएगा कि स्कूल की जमीन पर किसी अन्य संस्था का दावा तो नहीं है.
एक परिसर में चल रहे स्कूलों को किया जाएगा अलग
फिलहाल कई सरकारी स्कूल एक ही परिसर में चल रहे हैं. जगह की कमी के कारण इन्हें मर्ज कर दिया गया है. लेकिन, मापी के बाद यदि अतिरिक्त जमीन उपलब्ध पाई जाती है या कब्जा हटाकर जगह खाली होती है, तो भवनविहीन स्कूलों के लिए नए परिसर का निर्माण कराया जाएगा. इससे स्कूलों को खुद का भवन मिलेगा और बच्चों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध होगा.
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