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Patna News: जीने के लिए हर एक बूद जरूरी है, इसलिए बारिश का पानी बर्बाद होने से बचाने के लिए करें रेन वाटर हार्वेस्टिंग

Patna News: मानसून हमें वर्षा जल का संग्रह करने का अवसर देता है, ताकि भविष्य की जरूरतों के लिए उस कीमती निधि को बचाया जा सके, जिसके लिए रहीम ने बहुत पहले ही कह दिया था- ‘रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून.’ जल संकट और गिरते भूजल स्तर से बचने के लिए आम लोगों को अपने घरों, भवनों व समुदायों में जल संग्रहण प्रणाली अपनानी चाहिए. साथ ही, स्कूलों, पार्कों व सार्वजनिक स्थलों पर भी इसका विस्तार जरूरी है. अगर समाज, सरकार और संस्थाएं मिलकर प्रयास करें, तो जल संकट पर काबू पाया जा सकता है. तो आइए इस मानसून हम बरसात के पानी का सदुपयोग व संरक्षण के प्रति सचेत रहें और अपेक्षित तैयारियां रखें.

अनुपम कुमार/ Patna News: वर्तमान समय में जल संकट एक गंभीर समस्या बन चुकी है. शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि और अनियंत्रित जल दोहन ने भूमिगत जल स्तर को चिंताजनक स्तर तक गिरा दिया है. पटना जैसा शहर भी इससे अछूता नहीं जो गंगा के तट पर स्थित होने के कारण भूमिगत जल भंडार की दृष्टि से बेहद संपन्न माना जाता था. लिहाजा बारिश का पानी बर्बाद होने से बचाएं और रेन वाटर हार्वेस्टिंग करें. यह वर्तमान जल संकट का एक प्रभावी समाधान हो सकता है. यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें वर्षा के जल को एकत्र कर उसे पुनः प्रयोग के लिए संरक्षित किया जाता है. यह न केवल जल संरक्षण का माध्यम है, बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी सहायक है.

दो प्रकार से होती रेन वाटर हार्वेस्टिंग

रेन वाटर हार्वेस्टिंग का अर्थ है वर्षा के जल को छतों, खुले मैदानों या अन्य सतहों से एकत्र कर उसे संग्रहित करना या भूमि में पुनर्भरण के लिए उपयोग करना. यह प्रणाली दो प्रकार की होती है:

  • संचयन प्रणाली : जिसमें वर्षा जल को टैंकों या अन्य भंडारण इकाइयों में संग्रहित किया जाता है.
  • भूमिगत पुनर्भरण प्रणाली : जिसमें वर्षा जल को सीधे जमीन में भेजा जाता है ताकि जल स्तर में सुधार हो सके.

60 से 100 फीट तक पहुंच जाता भूमिगत जल का स्तर

पटना शहर का जनसंख्या घनत्व दिन ब दिन बढ़ रहा है. इससे यहां एक ओर आवासीय भवनों और अपार्टमेंट की संख्या बढ़ रही है वहीं अपना अपना बोरिंग लगा कर लोगों के द्वारा भूमिगत जल का इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है इससे भूमिगत जल का स्तर गिरता जा रहा है और गर्मियों में यहां कई स्थानों पर 60 से 100 फीट तक पहुंच जाता है. ऐसे में वर्षा जल संचयन की उपयोगिता यहां और भी बढ़ जाती है.

पांच फीसदी दिया जा रहा नक्शा स्वीकृति शुल्क में छूट

पटना नगर निगम ने अपने बिल्डिंग बाइलॉज में संशोधन करते हुए रेन वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देने के लिए यहां 1200 वर्गफुट से अधिक क्षेत्रफल वाले नए भवन निर्माण की स्वीकृति के लिए इसे अनिवार्य कर दिया है. साथ ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था अपनाने वाले भवनों का नक्शा पास कराने के दौरान स्वीकृति शुल्क में पांच प्रतिशत की छूट दी जाती है. साथ ही कुछ परियोजनाओं में पंजीकरण शुल्क और संपत्ति कर में भी एक-दो फीसदी की रियायत देने की व्यवस्था है.

ऐसे जानें क्या हैं इसके लाभ

  • जल स्तर में सुधार: वर्षा जल को भूमि में प्रवाहित करने से भूमिगत जल स्तर में वृद्धि होती है.
  • बाढ़ और जलजमाव में कमी: वर्षा का जल संग्रहित कर लेने से शहरी क्षेत्रों में जलजमाव की समस्या कम होती है.
  • स्वच्छ जल की उपलब्धता: संग्रहित जल का उपयोग छानने के बाद घरेलू कामों जैसे सफाई, सिंचाई, कपड़े धोने आदि में किया जा सकता है.
  • ऊर्जा की बचत: पंपिंग सिस्टम पर निर्भरता कम होने से ऊर्जा की बचत होती है.
  • पर्यावरणीय संतुलन: वनों और पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में सहायक.

वर्षा जल का केवल आठ फीसदी हो रहा संरक्षित

भारत में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता तेजी से घट रही है. वर्षा जल का केवल आठ फीसदी ही संरक्षित हो पाता है. कंक्रीट की सतहों ने जल को भूमि में जाने से रोक दिया है, जिससे जल स्तर गिर रहा है. जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा का पैटर्न अस्थिर हो गया है, जिससे जल संरक्षण और आवश्यक हो गया है.

भूमिगत जल स्तर को पुनर्जीवित करने का सशक्त माध्यम

रेन वाटर हार्वेस्टिंग भूमिगत जल स्तर को पुनर्जीवित करने का एक सशक्त माध्यम है. जब वर्षा जल को छानकर सीधे भूमिगत रिचार्ज पिट में भेजा जाता है, तो यह आस-पास के कुओं, हैंडपंपों और ट्यूबवेलों के जलस्तर को ऊपर लाने में मदद करता है. पटना जैसे क्षेत्रों में जहां जल दोहन अधिक है, वहां यह प्रणाली अत्यंत आवश्यक है.

संचित जल का उपयोग

  • बागवानी एवं पौधों की सिंचाई
  • कपड़े और बर्तन धोने में
  • टॉयलेट फ्लशिंग में
  • निर्माण कार्यों में
  • छानने के बाद पेयजल के रूप में

रेन वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देने के उपाय

  • जनजागरुकता: लोगों को इसके लाभों के प्रति शिक्षित करना अत्यंत आवश्यक है.
  • प्रोत्साहन नीति: शुल्क में अधिक रियायतें और सब्सिडी दी जाये.
  • स्कूल-कॉलेजों में पाठ्यक्रम: बच्चों को प्रारंभ से ही जल संरक्षण के प्रति जागरूक बनाना चाहिए.
  • सख्त नियम: भवन निर्माण अनुज्ञा के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया जाए.
  • तकनीकी सहायता: सरकार द्वारा डिजाइन और परामर्श की सुविधा प्रदान की जाए.

भविष्य की जल संरक्षण का आधार है वाटर हार्वेस्टिंग

रेन वाटर हार्वेस्टिंग न केवल आज की जरूरत है, बल्कि यह भविष्य की जल संरक्षण का आधार भी है. पटना जैसे शहरों में जहां जल संकट गंभीर होता जा रहा है, वहां इसकी आवश्यकता और भी बढ़ जाती है. सरकार, संस्थाएं और नागरिक सभी को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे. यह न केवल जल स्तर को सुधारने में सहायक होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित भविष्य की नींव रखेगा.

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Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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