Patna News: होली का त्योहार नजदीक है, और इसकी तैयारियां शहर में जोर-शोर से चल रही हैं. बसंत के आगमन के साथ-साथ, यह रंगों और उमंगों से भरा त्योहार हर जगह छा जाता है. रंगों के इस त्योहार के मौके पर महिला उद्यमियों में काफी उत्साह है, क्योंकि वे न केवल पारंपरिक होली की तैयारी में भाग लेती हैं, बल्कि इसे एक नयी दिशा देने के लिए उद्यमिता का सहारा भी ले रही हैं.
शहर की बिजनेस वुमन त्योहारों के माध्यम से अपनी कला, संस्कृति व परंपराओं को रख रही जीवित

35 वर्षों से संरक्षित कर रही हैं पारंपरिक होली गीत – सरिता झा, अध्यक्ष, मैथिली महिला संघ
होली का त्योहार सिर्फ रंगों से ही नहीं, बल्कि उसके गीतों से भी जुड़ा है. मैथिली महिला संघ की अध्यक्ष, सरिता झा पिछले 35 वर्षों से मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को संजोने का कार्य कर रही हैं. उनका कहना है कि, होली पर मंडली का आयोजन न हो तो यह त्योहार अधूरा सा लगता है. साल 2006 में उन्होंने महिलाओं के लिए होली मिलन का आयोजन शुरू किया, जो अब एक परंपरा बन चुकी है. यहां महिलाएं ढोल और मंजिरा के साथ पारंपरिक गीत गाती हैं और मिथिला के लोक गीतों को पुनः जीवित करती हैं.

कपड़ों का ऑर्डर एक महीने पहले से ही मिलने लगता है- रुचि चौधरी, महिला उद्यमी
होली के लिए कपड़े स्टिच करने वाली महिला उद्यमी रुचि चौधरी जीडी मिश्रा पथ पर स्थित ‘अप स्टीच’ की फाउंडर हैं. वह पिछले 12 वर्षों से इस कार्य में सक्रिय हैं और होली के लिए कपड़ों का ऑर्डर एक महीने पहले ही प्राप्त कर लेती हैं. उनका कहना है, होली के दौरान सफेद कपड़ों की अधिक मांग रहती है, और इसके साथ ही बच्चों के लिए रंग-बिरंगे शॉर्ट्स, क्रॉप टॉप, साड़ी, शर्ट, और फैमिली सेट के ऑर्डर भी आते हैं. इन कपड़ों की कीमत 200 से लेकर 8,000 रुपये तक होती है. वे महिला उद्योग संघ से जुड़ी हुई हैं और होली मेले में उनके स्टॉल से भी काफी ऑर्डर आते हैं.

पकवानों के ऑर्डर भी होली के उत्साह को बढ़ाते हैं – तुहिना चारी, महिला उद्यमी
होली के पारंपरिक पकवानों का महत्व बहुत अधिक है, और इस बार जक्कनपुर की रहने वाली तुहिना चारी ने अपने खाना बनाने के शौक को बिजनेस में बदल लिया है, जिसे नाम दिया है ‘पकवान’. तुहिना होली के लिए खास स्नैक्स और मिठाइयां ऑर्डर पर तैयार करती हैं. उनके व्यंजन, जैसे कि मालपुआ, खोया गुजिया, कांजी वड़ा, दही वड़ा, और अन्य स्वादिष्ट पकवान, हर होली मिलन पार्टी में खास आकर्षण का केंद्र बनते हैं. तुहिना बताती हैं, मैं हर होली मिलन पार्टी में अपने हाथ के बने पकवान खिलाती हूं और अब मुझे 15 दिन पहले ही ऑर्डर मिल जाते हैं.

कॉर्नफ्लावर सूखे फूलों से तैयार करती हैं हर्बल कलर – देबलीना चौधरी, महिला उद्यमी
देबलीना चौधरी, मछुआ टोली की निवासी हैं. वे पिछले तीन वर्षों से हर्बल रंगों का बिजनेस कर रही हैं. उनकी ‘द बॉन्ग’ नाम की कंपनी है, जिसकी फाउंडर वे खुद हैं. वह कॉर्नफ्लावर, सूखे फूलों और पालक जैसे प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग करके रंग तैयार करती हैं. देबलीना बताती हैं, ‘हमारे रंग की मांग पूरे देश में है और होली से पहले हम कॉर्पोरेट ऑर्डर प्राप्त कर लेते हैं’. उनकी टीम में 12 महिलाएं शामिल हैं, जो हर्बल रंग बनाने का कार्य करती हैं. इन रंगों की कीमत 250 रुपये से लेकर 1,000 रुपये तक होती है, और इसकी सेल्फ लाइफ दो साल तक होती है.