संवाददाता, पटना जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि राज्य में प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ की विभिषिका से मुक्ति के लिए चिर-प्रतीक्षित मांग व्यापक गाद प्रबंधन नीति तैयार करने का रास्ता साफ हो गया है. इस संबंध में गुरुवार को रांची में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक में केंद्र सरकार का सकारात्मक रुख रहा. इसके साथ ही बिहार का झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच वर्षों से लंबित विभिन्न मामलों को सुलझाया गया. मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस बैठक से लौटकर यह जानकारी शुक्रवार को पटना में सिंचाई भवन स्थित सभागार में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दीं. इस दौरान विभाग के अपर सचिव यशपाल मीणा, अभियंता प्रमुख शरद कुमार, अभियंता प्रमुख अवधेश कुमार सहिक अन्य वरीय पदाधिकारी उपस्थित रहे. मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार के केंद्रीय जल आयोग द्वारा तैयार नेशनल फ्रेमवर्क फॉर सेजिमेंट मैनेजमेंट में कहा गया है कि नदियों से गाद हटाना आर्थिक रूप से संभाव्य और वांछनीय नहीं है. बैठक में विमर्श के दौरान निष्कर्ष आया कि गाद को हटाये बिना बाढ़ की समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है. इसके लिए व्यापक गाद प्रबंधन नीति का बनना आवश्यक है. गंगा, कोसी, कमला, बागमती, गंडक आदि नदियों से आने वाली गाद के कारण राज्य को प्रत्येक वर्ष बाढ़ की विभिषिका को झेलना पड़ता है. गाद के कारण नदियों की जल वहन क्षमता में कमी आती जा रही है. इससे नदियों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है. नदी का तल ऊंचा होने से नदियों के उच्चतम बाढ़ स्तर (एचएफएल) का नया रिकॉर्ड बनता जा रहा है. व्यापक गाद प्रबंधन नीति बनने से बाढ़ की समस्या में सुधार हो सकेगा. विजय चौधरी ने बताया कि सोन नदी को लेकर बिहार और झारखंड में सहमति बनी कि अविभाजित बिहार के हिस्से के 7.75 मिलियन एकड़ फुट (एमएएफ) पानी में से 5.75 एमएएफ पानी बिहार को मिलेगा. साथ ही दो एमएएफ पानी झारखंड को मिलेगा. इससे वर्षों से लंबित इंद्रपुरी जलाशय परियोजना के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त होगा. इससे भोजपुर, बक्सर, रोहतास, कैमूर, औरंगाबाद, पटना, गया और अरवल जिले में सिंचाई सुविधा बेहतर हो सकेगी. इसके साथ ही महानंदा नदी को लेकर बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच मामला लंबित था. महानंदा पर तैयबपुर में एक बराज बनाने की डीपीआर तैयार की जा रही है. इस संबंध में केंद्रीय जल आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल से सहमति प्राप्त करने का निर्देश दिया गया. सहमति बनी कि तैयबपुर बराज के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की सहमति की आवश्यकता नहीं है.
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