पटना . बिहार के प्रसिद्ध होमियोपैथिक विशेषज्ञ डॉ बीएम प्रसाद ने दुर्लभ और जटिल बीमारी गिलियन बैरे सिंडोम (जीबीएस) के इलाज का शोध पत्र प्रमाण के साथ पेश किया, जो देश-विदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है. डॉ बीएम प्रसाद के इस शोध पत्र की सराहना विश्व पटल पर हो रही है. दरअसल, 14 से 17 मई तक नीदरलैंड में 78वें विश्व होमियोपैथिक सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ बृज मोहन प्रसाद ने जीबीएस पर किये गये शोध को प्रस्तुत किया. डॉ बीएम प्रसाद ने कहा कि गिलियन बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ, लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका तंत्र संबंधी) विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपनी ही नसों पर हमला करने लगती है. यह बीमारी अचानक होने वाली कमजोरी, अंगों में झनझनाहट, चलने में कठिनाई और यहां तक कि पूर्ण पक्षाघात जैसी गंभीर स्थिति तक पहुंचा सकती है. कुछ मामलों में यह जानलेवा भी हो सकता है. इसके इलाज को लेकर अब तक ऐलोपैथिक चिकित्सा में सीमित विकल्प उपलब्ध हैं और इसका उपचार लक्षणों को नियंत्रित करने और पुनर्वास तक ही सीमित रहता है. ऐसे में यदि होमियोपैथी में इसके सफल इलाज की कोई नयी दिशा मिलती है, तो यह चिकित्सा जगत के लिए एक क्रांतिकारी उपलब्धि हो सकती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है