एसएलबीसी की बैठक : राज्य का साख-जमा अनुपात बढ़कर हुआ 57.36%,पिछले तिमाही की तुलना में एक फीसदी की बढ़ोतरी संवाददाता,पटना उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री सम्राट चौधरी ने राज्य की राष्ट्रीय औसत से कम साख-जमा अनुपात को लेकर बैंकों को नसीहत दी. कहा कि यदि बैंक लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से ऋण नहीं देता है, तो सरकार भी लोगों से बैंकों में राशि जमा नहीं करने का आग्रह करेगी.अपनी भी राशि जमा नहीं करेगी. राज्य सरकार द्वारा बैंकों की परफॉर्मेंस की मॉनिटरिंग की जा रही है. निर्धारित पैमाना पर खड़ा उतरने वाले बैंकों को ही राज्य सरकार मदद करेगी. मंगलवार को श्री चौधरी स्थानीय होटल में राज्य स्तरीय बैकर्स समिति की 93 वें बैठक को संबोधित कर रहे थे.उन्होंने बैंकों से पंचायत स्तर पर आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा. इससे पंचायत स्तर पर ऋण वितरण और ऋण वापसी के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जा सकेगा. उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 की अंतिम तिमाही में राज्य की साख-जमा अनुपात बढ़कर 57.36% हो गया है,जो कि पिछले तिमाही की तुलना में एक फीसदी अधिक है. इस अवधि में राज्य के लोगों ने बैंकों में 563445 करोड़ जमा किये थे, जिसकी तुलना में बैंकों ने 323219 करोड़ ऋण बांटे.बैठक में ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ,सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार और पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रेणु देवी ने भी अपनी बातें रखी.वहीं, उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर सिंह, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉ.एन विजयलक्ष्मी,आरबीआई क्षेत्रीय निदेशक सुजीत कुमार अरविंद,एसबीआई के सीजीएम केवी बंगा राजू और नाबार्ड के सीजीएम विनय कुमार सिंह ने भी अपनी-अपनी बातें रखी. राज्य सरकार 34 लाख लोगों को रोजगार दी ,स्थायी रोजगार के लिए बैंक की मदद जरूरी उपमुख्यमंत्री श्री चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार ने 34 लाख लोगों का रोजगार दी है, लेकिन स्थायी रोजगार के लिए बैंक की मदद जरूरी है. प्रधानमंत्री विश्वकर्मा और मुद्रा योजना गरीब लोगों को बैंकों की मदद से मुख्य धारा में लाने का माध्यम है.यदि बैंक योजना के तहत लोन देने में आनाकानी करते हैं तो यह एक गंभीर बात है. राज्य की प्रगति जिस रफ्तार से होनी चाहिए उस रफ्तार से नहीं हो रही है.बिहार को देश के विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए बैंकों को भी आगे आना होगा. दो लाख रुपये के केसीसी के लिए किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं एसएलबीसी की बैठक में केसीसी के लिए किसानों से बैंकों द्वारा मांगी जा रही जमीन की रसीद और लैंड पॉजिशनिंग सर्टीफिकेट का मामला उठा. पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रेणु देवी ने कहा कि भारत सरकार और रिजर्व बैंक के दिशा निर्देश को दरकिनार कर किसानों और पशुपालकों से जमीन की रसीद और लैंड पॉजिशनिंग सर्टीफिकेट की मांग बैंक करते हैं.जिस कारण से किसानों का केसीसी नहीं बन रहा है.मौके पर उद्याेग विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर सिंह ने कहा कि केसीसी के तहत दो लाख रुपए तक के लोन के लिए किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं है.
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