Rahul Gandhi Padayatra: राजनीतिक हलकों में हलचल मचाने वाली ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ की रफ्तार पर फिलहाल विराम लग गया है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की यह संयुक्त यात्रा अब 10 अगस्त की बजाय 15 अगस्त के बाद शुरू होगी. आरजेडी ने आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि नई तारीखों और शेड्यूल की घोषणा जल्द ही की जाएगी.
महागठबंधन के लिए क्यों जरूरी है राहुल गांधी के पदयात्रा
पटना, बिहार की राजनीति में ‘महागठबंधन’ की ओर से एक अहम कदम मानी जा रही ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा 10 अगस्त से सासाराम से शुरू की जाने वाली यह यात्रा अब 15 अगस्त के बाद नए कार्यक्रम के तहत शुरू होगी.
इस यात्रा को दो चरणों में बिहार के कई जिलों से होते हुए पटना तक पहुंचना था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी की भी इसमें शामिल होने की संभावना जताई जा रही थी. यात्रा के जरिए महागठबंधन मतदाता सूची में अनियमितताओं, ईवीएम की पारदर्शिता और लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली जैसे मुद्दों को लेकर जनता से सीधा संवाद करना चाहता था.
क्यों टली यात्रा?
राष्ट्रीय जनता दल ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि कुछ “अपरिहार्य कारणों” के चलते यह कार्यक्रम अभी स्थगित किया गया है. पार्टी के प्रदेश प्रधान महासचिव रणविजय साहू ने एक पत्र के ज़रिए जानकारी दी कि 4 अगस्त को यात्रा की जो सूचना जारी की गई थी, उसे फिलहाल निरस्त माना जाए. आगामी कार्यक्रम की जानकारी समय पर सार्वजनिक की जाएगी.

इससे पहले 10 से 19 अगस्त तक की यात्रा का विस्तृत शेड्यूल साझा किया गया था, जिसकी शुरुआत सासाराम से होनी थी. लेकिन अब पूरा शेड्यूल नए सिरे से तैयार किया जाएगा.
राहुल गांधी के पदयात्रा के राजनीतिक मायने
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले यह यात्रा महागठबंधन की जनता के बीच पकड़ मजबूत करने और बीजेपी-नीत एनडीए सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की एक रणनीति मानी जा रही थी. यात्रा का स्थगित होना राजनीतिक विश्लेषकों के बीच कई सवाल भी खड़े कर रहा है, लेकिन राजद और कांग्रेस दोनों ने स्पष्ट किया है कि यह सिर्फ तिथि परिवर्तन है, इरादा अटल है.
वोट का अधिकार सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं है, यह लोकतंत्र की आत्मा है. यही संदेश देने के लिए निकाली जा रही यात्रा भले ही कुछ दिनों के लिए रुकी हो, लेकिन इसके राजनीतिक प्रभाव और उद्देश्य अब भी जारी हैं और स्पष्ट हैं. अब देखना होगा कि 15 अगस्त के बाद की नई तारीखों में यह यात्रा क्या तेवर और ऊर्जा लेकर सामने आती है.