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Women of the Week: किसी भाषा और संस्कृति को लोकप्रिय बनाना आसान नहीं होता, वीमेन ऑफ द वीक पर पढ़ें एक महिला की कहानी

Women of the Week: वीमेन ऑफ द वीक बच्चों के विकास के साथ-साथ उन्हें अच्छा माहौल मिले, इसे लेकर वे लगातार काम करती हैं. उन्होंने न केवल भाषा सिखायी, बल्कि अपने छात्रों को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया.

Women of the Week: पिछले कुछ वर्षों में कोरियन ड्रामा और बीटीएस ने भारत में खासकर युवाओं के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की है, लेकिन जब बिहार में कोरियन भाषा का नाम तक कोई नहीं जानता था, तब दक्षिण कोरिया की सियोल निवासी ‘ग्रेस ली’ ने इसकी नींव रखी. वे किंग सेजोंग इंस्टिट्यूट, पटना में कोरियन भाषा की शिक्षिका हैं, जो कोरियन कल्चरल सेंटर इंडिया (दिल्ली) और दक्षिण कोरिया की मिनिस्ट्री ऑफ आर्ट्स, स्पोर्ट्स एंड टूरिज्म के तहत संचालित है. ऐसे में एक विदेशी महिला का अपने देश से दूर भाषा और संस्कृति को लोकप्रिय बनाना आसान नहीं होता, लेकिन उन्होंने न केवल भाषा सिखायी, बल्कि अपने छात्रों को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया. अब वह बिहार ही नहीं, पूरे भारत में कोरियन भाषा की एक अहम प्रतिनिधि बन चुकी हैं.

Q. बिहार आना और कोरियन भाषा पढ़ाने के सफर के बारे में बताएं ?

Ans- मैं मूल रूप से कोरिया (सियोल) की रहने वाली हूं. मेरी पढ़ाई चुंचेऑन से हुई है. पढ़ाई के बाद मैं पहली बार 1990 में भारत भ्रमण पर आयी थी. फिर शादी के बाद अपने पति के साथ 1997 में पटना आ गयी. उस वक्त मेरे पति एएन कॉलेज में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई के लिए आये थे. उन्होंने और कॉलेज प्रशासन ने कोरियन भाषा पढ़ाने का प्रस्ताव रखा और 2007 में मैंने इसे पढ़ाना शुरू किया. अब पटना किंग सेजोंग इंस्टीट्यूट के माध्यम से इसे पढ़ा रही हूं. इस दौरान मैं नयी दिल्ली स्थित कोरियन एम्बेसी की ओर से चलाये जा रहे कोरियन कल्चरल सेंटर इंडिया से जुड़ी और फिर पटना में स्थित पटना किंग सेजोंग इंस्टीट्यूट में पढ़ाना शुरू किया, जो दक्षिण कोरिया की मिनिस्ट्री ऑफ आर्ट्स, स्पोर्ट्स एंड टूरिज्म के तहत आता है.

Q. आपके पति और बेटा दोनों अलग-अलग देशों में हैं, ऐसे में परिवार और करियर को कैसे संभालती हैं ?

Ans- हम वीकेंड पर जूम कॉल से जुड़े रहते हैं. हाल ही में बेटे की शादी कोरिया के सियोल में ही हुई. पति युगांडा के विवि के वीसी हैं, लेकिन हम सभी अपने काम को लेकर प्रतिबद्ध हैं. मैंने सबकी सहमति से पढ़ाना शुरू किया और सभी एक-दूसरे का सहयोग करते हैं.

Q. कोरिया की जीवनशैली काफी अलग है. ऐसे में जब आप शादी के बाद पटना आयीं, तो किस तरह की चुनौतियां झेलनी पड़ीं?

Ans- सबसे पहले गर्मी और बिजली की समस्या थी. आज से 26 साल पहले यहां सड़क और बिजली दोनों की हालत काफी खराब थी. एक बार एसी ऑन किया, तो सारा सर्किट जल गया था. भाषा नहीं जानती थी, तो ऑटो वालों ने कई बार ठगा. खानपान में भी समय लगा, लेकिन अब यहां का खाना पसंद आता है. दो साल में भाषा सीखी और अब खुद को आधी बिहारी मानती हूं.

Q. जब आपने कोरियन भाषा पढ़ाना शुरू किया, तो कैसी प्रतिक्रियाएं मिलीं, क्या दिक्कतें आयीं?

Ans- शुरुआत में बच्चे नहीं जानते थे कि कोरिया कहां है. वीडियो और किताबों से उन्हें समझाया. पहले इस भाषा को टूरिज्म से जुड़े लोग ही सीखते थे, लेकिन अब बीटीएस और कोरियन ड्रामा की वजह से युवा खुद सीखना चाहते हैं. मैं ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से पढ़ा रही हूं. पूरे भारत में मैं ऑनलाइन क्लास लेती हूं.

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Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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