विधि, संवाददाता : पटना हाइकोर्ट ने शहर के आशियाना-दीघा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किये गये अतिक्रमण पर नाराजगी जाहिर करते हुए उसे जल्द हटाने का निर्देश जिला प्रशासन को दिया है. जस्टिस पीबी बजानथ्री की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने डाॅ अमित कुमार सिंह द्वारा इस मामले को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. इससे पूर्व भी कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में जिला प्रशासन को शहर से अवैध अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था.
यह भी सुनिश्चित हो कि दोबारा अतिक्रमण नही हो
कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि अतिक्रमण नहीं हटाया गया, कोर्ट यह मानेगा कि डीएम कोर्ट के आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं. कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि अवैध अतिक्रमण हटाये जाने के बाद पुनः अतिक्रमण नही हो. यदि ऐसा हुआ, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जायेगी. कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि डीएम संपूर्ण अवैध अतिक्रमण को हटाने में असहाय हो जाते हैं, तो ऐसी स्थिति में अगली सुनवाई की तारीख पर हलफनामा दाखिल कर स्थिति से अवगत करायेंगे.अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा दोबारा अतिक्रमण
डीएम की ओर से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया गया कि कुछ अतिक्रमण को हटा दिया गया है. बाकी के अतिक्रमण को दो माह में हटा दिया जायेगा. इस पर कोर्ट ने कहा कि पिछले छह साल से अतिक्रमण हटाने के लिए दिये गये आदेश का पालन नहीं किया गया. यही नहीं, आदेश का पूरी तरह पालन करने के लिए और ज्यादा समय की लिखित मांग भी कोर्ट से नहीं की गयी. वरीय अधिवक्ता संजीव कुमार मिश्र ने कोर्ट को बताया कि अतिक्रमण हटाने का केवल कागजी कार्रवाई की गयी हैं. भौतिक रूप से अवैध अतिक्रमण को नहीं हटाया गया है. अतिक्रमण हटाने के बाद भी अधिकारियों की मिलीभगत से दोबारा अतिक्रमण हो जाता है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि पटना हाइकोर्ट ने पूर्व में अरुण कुमार मुखर्जी के मामले में यह स्पष्ट किया था कि दुबारा अतिक्रमण किये जाने के मामले में संबंधित थानाध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराया जायेगा, लेकिन अब भी अवैध अतिक्रमण बार बार हो रहा है. इसका कोई स्थायी समाधान नहीं हो रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है