सुप्रीम कोर्ट ने बिना पुलिस वेरिफिकेशन के आर्म्स लाइसेंस जारी करने के मामले में सहरसा के तत्कालीन जिला पदाधिकारी और संप्रति राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू के खिलाफ पटना हाईकोर्ट की तरफ से पारित आदेश पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में सहरसा कोर्ट में की जा रही सुनवाई को भी स्थगित रखने के भी आदेश दिये हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सहरसा के तत्कालीन डीएम चोंग्थू की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिये हैं. चोंग्थू ने बताया कि लाइसेंसिंग अथॉरिटी के रूप में उन्होंने पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट की मांग की थी , जिसे उपलब्ध नहीं कराया गया था. इस संबंध में दुबारा स्मारित करने के बावजूद भी रिपोर्ट नहीं उपलब्ध कराने पर आर्म्स एक्ट, 1959 की धारा-13 (2ए) में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए उन्होंने स्वयं संतुष्ट होने पर आर्म्स लाइसेंस निर्गत किया.
आर्म्स एक्ट की धारा-13 (2ए) में स्पष्ट प्रावधान है कि पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट की मांग करने के बावजूद यदि इसे पुलिस द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जाता है. तब ऐसी स्थिति में लाइसेंसिंग अथॉरिटी को आर्म्स निर्गत करने का अधिकार है. इस मामले में तत्कालीन डीएम चोंग्थू अपनी इसी शक्ति का प्रयोग किया है.चोंग्थू ने बताया कि उनके विरुद्ध दायर प्राथमिकी अथवा तीनों चार्जशीट में उनके और संबंधित लाइसेंस धारकों के बीच साठगांठ अथवा भ्रष्टाचार या किसी अन्य प्रकार का आरोप नहीं लगाया गया है. उन्होंने जिलाधिकारी के रूप में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए अपने पदीय दायित्व के निर्वहन के क्रम में नियमानुसार आर्म्स लाइसेंस निर्गत किये थे. इसलिए उनके खिलाफ दूर-दूर तक कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है.
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