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Sand Business: बिहार में 35 किमी सफर तय कर बालू हो जाता है 8 गुना महंगा, ठेकेदार की चांदी

Sand Business: बिहार में करीब 1250 रुपये की लागत के बालू की कीमत घाटों के भंडारण स्थल पर करीब तीन गुना है. कोइलवर से पटना करीब 35 किमी आने पर यही बालू करीब आठ हजार रुपये में आम लोगों को मिलता है. बालू निकलने पर इससे जुड़े खुदरा बिक्रेताओं को भी अच्छा-खासा लाभ हो रहा है.

Sand Business: कृष्ण कुमार, पटना. राज्य में करीब 1250 रुपये की लागत के बालू की कीमत घाटों के भंडारण स्थल पर करीब तीन गुना है. वहां से बालू निकलने पर इससे जुड़े खुदरा बिक्रेताओं को भी अच्छा-खासा लाभ हो रहा है. कोइलवर से पटना करीब 35 किमी आने पर यही बालू करीब आठ हजार रुपये में आम लोगों को मिलता है. राज्य में बालू के वैध और अवैध कारोबार के पीछे इसकी मांग और इसमें होने वाला मुनाफा मुख्य कारण है. हालत यह है कि वैध तरीके से इसकी लागत का कम से कम दो से तीन गुना मुनाफा बंदोबस्तधारी कमा रहे हैं. हालांकि, सरकार को भी वैध कारोबार की रॉयल्टी मिल जाती है. इन सबके बीच निर्माण कार्य करवाने वाले लोग बालू की प्रतिदिन बढ़ती कीमत से परेशान रहते हैं. वहीं बालू घाटों पर काम करने वाले मजदूरों के हालात और भी खराब है.

बालू की रॉयल्टी दर 150 रुपये प्रति घन मीटर

सोन, चानन, मोरहर, किऊल और फल्गु नदियों से निकलने वाले लाल बालू की रॉयल्टी दर 150 रुपये प्रति घन मीटर है. वहीं अन्य नदियों से निकलने वाले बालू की रॉयल्टी दर 75 रुपये प्रति घन मीटर है. ठेकेदारों को इसके अलावा बिक्री के लिए भंडारण स्थल तक बालू लाने में करीब दोगुना खर्च करना पड़ता है. ऐसे में यदि लाल बालू की बात करें, तो इसकी लागत करीब 450 रुपये प्रति घनमीटर हो जाती है. यह बालू ठेकेदार घनमीटर में नहीं, बल्कि सीएफटी में बिक्री करते हैं. यानी एक घनमीटर में करीब 35.31 सीएफटी बालू होता है. इस तरह एक ट्रैक्टर में बालू भरने यानी करीब 100 सीएफटी के लिए तीन घन मीटर बालू की जरूरत होती है. इसकी लागत बालू घाट के भंडारण स्थल पर करीब 1350 रुपये होती है. यदि सोन नदी के बालू घाटों की बात करें, तो वहां से पटना लाकर फिलहाल इस बालू की बिक्री एक प्रति ट्रैक्टर करीब आठ हजार रुपये में हो रही है.

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वैध खनन से बड़ा है अवैध खनन का दायरा

राज्य में बालू खनन के वैध काराेबार की तुलना में अवैध कारोबार का दायरा अब भी बड़ा है. अवैध कारोबारियों की रुचि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस वित्तीय वर्ष के शुरुआती चार महीने में ही अवैध खनन के खिलाफ 6095 छापेमारी की गयी. 3462 वाहनों की जब्ती, 832 प्राथमिकी दर्ज हुई. 375 गिरफ्तारी और दंड के रूप में 43.44 करोड़ की राशि वसूली गयी. 2022-23 में बालू के अवैध कारोबार में 4435 एफआइआर दर्ज की गयी. 2439 लोगों की गिरफ्तारी हुई और बीस हजार से ज्यादा वाहन भी जब्त किये गये थे. ऐसे में अवैध कारोबार बढ़ रहा है.

Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने को प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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