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शिक्षक दरबार में अब सुनी जायेगी शिक्षकों की समस्या, बीइओ और डीइओ लगायेंगे दरबार…

शिक्षक दरबार लगाकर शिक्षकों की समस्याओं का हल निकालें. डीइओ के स्तर पर समस्या का समाधान न होने पर ही राज्य मुख्यालय तक शिक्षकों की समस्याएं भेजने के लिए कहा है.

शिक्षक दरबार में ही अब शिक्षकों की समस्याओं को सुनी जायेगी. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) डॉ एस सिद्धार्थ ने व्यवस्था दी है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीइओ) सप्ताह में कम से कम एक दिन (शनिवार) विद्यालय अवधि के बाद शिक्षक-दरबार लगाकर उनकी समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करेंगे. डीइओ के स्तर पर समस्या का समाधान न होने पर ही राज्य मुख्यालय तक शिक्षकों की समस्याएं भेजने के लिए कहा है. उन्होंने इस आशय के दिशा-निर्देश बुधवार को सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को जारी कर दिए हैं. एसीएस ने अपने पत्र में बताया है कि जिला और प्रखंड स्तर से शिक्षकों की समस्याओं का समाधान न होने की वजह से प्रतिदिन करीब पचास शिकायतें एसीएस कार्यालय में आ रही हैं. एसीएस दो टूक निर्देश दिए कि शिक्षकों की उपस्थिति पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनायी जायेगी.

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शिक्षक डिजिटल लैब या मोबाइल से अपनी उपस्थिति बनायेंगे. पढ़ाने में कमजोर शिक्षको को चिन्हित कर उनकी विशेष ट्रेनिंग दिलाने को भी कहा है. एसीएस ने निर्देश दिए हैं कि राज्य के सरकारी ,पाइवेट स्कूलों और कोचिंग/ ट्यूशन संस्थाओं में छह से 16 साल के पढ़ रहे बच्चों की आधार सीडिंग करायी जाये. यह संस्थाएं बच्चों के आधार के साथ सीडिंग करायी जाये. सभी संस्थाएं बच्चों का डाटा बेस तैयार रखेंगी. शिक्षा विभाग के मांगे जाने पर निजी संस्थाओं को यह डाटा विभाग को देना होगा, ताकि यह पता चल सके कि कितने बच्चे कहां पढ़ रहे हैं.

सितंबर-अक्तूबर में मिड टर्म का मूल्यांकन होगा

यदि एक ही बच्चा प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में पढ़ रहा है तो सरकारी स्कूल से उसके नाम काट दिये जायें.लिखा है कि इस वर्ष सितंबर-अक्तूबर में मिड टर्म मूल्यांकन कराया जायेगा. उसके अच्छी पढ़ाई कराने को कहा है. एसीएस सिद्धार्थ ने डीइओ से कहा है कि जिला स्तर के किसी भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मी की सेवा निवृत्ति का देय लाभ लंबित नहीं रहना. वेतन भी सभी को समय पर मिले. यह दोनों जिम्मेदारियां डीइओ को सुनिश्चित करनी होंगी. साफ किया कि ट्रांसफर और पोस्टिंग के सभी आवेदन एक साथ राज्य मुख्यालय को भेजें, ताकि शिक्षक को इसके लिए पटना न आना पड़े. बताया कि सबसे ज्यादा शिकायतें मध्याह्न भोजन योजना की प्राप्त हो रही हैं. कहा है कि मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता में कमी पायी जाती है तो जीविका दीदियां राज्य मुख्यालय को सूचित करेंगी.

आउट ऑफ स्कूल बच्चे मिले तो होगी कार्रवाई

सिद्धार्थ ने स्पष्ट कर दिया है कि बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदा के समय स्कूल बंद करने की जिम्मेदारी केवल जिलाधिकारी के पास है. अन्य किसी कारण से विद्यालय बंदी केवल डीइओ कर सकेंगे. बाढ़ को देखते हुए स्कूलों के फर्नीचर आदि को सुरक्षित रखने के प्रबंध किये जाये. यह प्रधानाध्यापक का दायित्व है कि प्रशासन के सहयोग से बाढ़ के दौरान विद्यालयों के सभी उपस्करों को सुरक्षित रखा जाये. शिक्षा सेवक के बारे में निर्देश दिए कि अगर उनके क्षेत्र में आउट ऑफ स्कूल बच्चे मिले तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए पद मुक्त भी किया जा सकता है. उनके स्थान पर उसी समुदाय के व्यक्ति को नियुक्त किया जायेगा. निर्देश दिए कि अगर सरकारी स्कूल में बच्चो के बैठने के लिए समुचित जगह नहीं है तो उनकी कक्षाएं 500 मीटर के दायरे में मौजूद किसी अन्य सरकारी भवन में लगायी जायें.नये स्कूल भवनों का निर्माण जिला पदाधिकारी शिक्षा विभाग को सौंपेंगे. इसके अलावा उन्होंने बेंच डेस्क व्यवस्था, पीने के पानी, शौचालय, विद्युत व्यवस्था को लेकर भी जरूरी दिशा निर्देश दिए.

RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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