– राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल में पढ़ाई से लेकर मरीजों दवाइयों पर शोध बाधित
-पिछले आठ महीने से प्रिंसिपल की नियुक्ति नहीं हुई, अब अधीक्षक ने भी पदभार छोड़ासंवाददाता, पटना
राजधानी पटना स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल में मरीजों के साथ-साथ छात्रों व कर्मियों की परेशानियां कम नहीं हो पा रही हैं. छात्रों की पढ़ाई व शोध तो प्रभावित हो ही रहा था, अब मरीजों का इलाज भी बाधित होने की आशंका बढ़ गयी है. अस्पताल के अधीक्षक डॉ सुमेश्वर सिंह ने अपना पद छोड़ दिया है और प्रभार उपाधीक्षक को सौंप दिया है. पिछले आठ महीने से प्राचार्य की नियुक्ति नहीं हो पा रही है, अब यहां अधीक्षक का पद भी रिक्त हो गया है. वहीं कॉलेज के प्रभारी प्रिंसिपल डॉ अरविंद कुमार चौरसिया ने बताया कि उनको कोई वित्तीय अधिकार नहीं दिया गया है. कक्षाएं संचालित करने से लेकर परीक्षा आयोजित करने तक के लिए राशि नहीं है.एक अधिकारी को मिला डीडीए का अधिकार
डीडीए का अधिकार विभाग के एक पदाधिकारी को दिया गया है. कॉलेज में छात्रों के शोध कार्य के लिए जरूरी औषधियों व सामग्रियों की खरीद नहीं हो पा रही है. सुरक्षागार्डों, माली, चपरासी का वेतन भी पिछले कई महीने से नहीं मिल रहा है. ऐसे में अस्पताल चलाना लगभग मुश्किल हो गया है. कॉलेज के ही एक वरीय शिक्षक सह चिकित्सक ने बताया कि कॉलेज में इन दिनों मरीजों की संख्या में भी कमी आयी है. ब्रांडेड दवाओं के बदले ऐसी कंपनियों की दवाइयां अस्पताल में सप्लाइ हो रही हैं, जिसके बारे में ज्यादा जानकारी मरीजों को तो क्या, चिकित्सकों को भी कम ही होती है. चिकित्सक ने बताया कि दवा खरीद में होनेवाले टेंडर में एल-1 कंपनी को ही आपूर्ति का आदेश दिया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है