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Patna News : तकनीकी आधारित शिक्षण से शिक्षा होगी गुणवत्तापूर्ण, समावेशी और सुलभ: प्रो शरद कुमार यादव

आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ हुआ. इसमें आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शरद कुमार यादव ने शिक्षा में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर दिया.

संवाददाता, पटना: प्रौद्योगिकी सक्षम शिक्षण न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ायेगा, बल्कि इसे अधिक समावेशी और सुलभ भी बनायेगा. ये बातें आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शरद कुमार यादव ने सोमवार को एक ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) के उद्घाटन अवसर पर कहीं. कॉमनवेल्थ एजुकेशनल मीडिया सेंटर फॉर एशिया (सीइएमसीए), एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआइयू) और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के अकादमिक एवं प्रशासनिक विकास केंद्र (एएडीसी) की ओर से पांच दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का विषय ‘प्रौद्योगिकी-सक्षम और मिश्रित शिक्षण में उच्च शिक्षण संस्थानों का सशक्तीकरण’ था. कार्यक्रम में प्रो यादव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए शिक्षकों को पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़ते हुए तकनीकी और मिश्रित शिक्षण पद्धतियों को अपनाना होगा. उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे तकनीक को अपने शिक्षण का अभिन्न हिस्सा बनाएं, ताकि विद्यार्थी भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हो सकें. इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के कुलपति प्रो जावेद मुसर्रत भी मौजूद रहे. कार्यक्रम में एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज, नयी दिल्ली (एआइयू) के महासचिव डॉ पंकज मित्तल ने उच्च शिक्षण संस्थानों से देश-विदेश के अन्य संस्थानों से सहयोग करने की अपील की. उन्होंने बताया कि एआइयू शिक्षकों के सतत् विकास के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा है. सीइएमसीए के निदेशक डॉ बी शद्रच ने एफडीपी की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह कार्यक्रम शिक्षकों को नयी शिक्षण विधियों से सुसज्जित करने में सहायक होगा और एनइपी 2020 के उद्देश्यों की पूर्ति में योगदान देगा. आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय की अकादमिक प्रभारी व एएडीसी की समन्वयक डॉ मनीषा प्रकाश ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे नवाचारों की जानकारी दी. उद्घाटन सत्र के बाद एनइपी 2020 की ड्राफ्ट कमेटी की सदस्य प्रो वसुधा कामत ने नीति की मुख्य विशेषताओं पर आधारित एक संवादात्मक सत्र का संचालन किया. इस दौरान 350 से अधिक प्रतिभागियों को 24 समूहों में बांट कर 12 मॉड्यूल पर चर्चा व प्रस्तुति का कार्य सौंपा गया. यह एफडीपी कार्यक्रम 12 अप्रैल तक चलेगा और इसमें देशभर से 500 से अधिक शिक्षक भाग ले रहे हैं.

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