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महागठबंधन के घटक दल देंगे अपनी पसंदीदा सीटों की सूची

बिहार विधानसभा चुनाव में एक साथ उतरने को तैयार महागठबंधन के घटक दलों ने एक दूसरे की पसंदीदा सीटों की सूची देखने की सहमति बनायी है.

संवाददाता, पटना बिहार विधानसभा चुनाव में एक साथ उतरने को तैयार महागठबंधन के घटक दलों ने एक दूसरे की पसंदीदा सीटों की सूची देखने की सहमति बनायी है. पांच जुलाई को संभावित अगली बैठक में सभी घटक दल अपनी पसंद की सीटों को साझा करेंगे. गुरुवार को विरोधी दल के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के सरकारी आवास पर महागठबंधन के घटक दलों की हुई उच्चस्तरीय बैठक में सभी घटक दल न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर तक राज्य सरकार की नाकामियों के खिलाफ सदन से सड़क तक साझा संघर्ष करने को सहमत हुए. नौ जुलाई को ट्रेड यूनियन के बंद के आह्वान को सफल बनाने सभी घटक दल सड़क पर संघर्ष करेंगे. तेजस्वी यादव की अध्यक्षता में इंडिया गठबंधन के समन्वय समिति एवं उसकी विभिन्न उपसमितियों की हुई बैठक में कहा गया कि घटक दल अपनी पसंद की सीटों की सूची महागठबंधन समन्वय समिति के अध्यक्ष को सौंपे. सीट बंटवारे के लिए वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव के फाॅर्मूले को आधार बनाने पर चर्चा हुई. हालांकि, अंतिम सहमति नहीं बन सकी. सहमति बनी कि महागठबंधन के सभी घटक दल न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर तक राज्य सरकार की नाकामियों के खिलाफ सदन से सड़क तक साझा संघर्ष किया जाये. नौ जुलाई को ट्रेड यूनियन के बंद के आह्वान को सफल बनाने सभी घटक दल सड़क पर संघर्ष करेंगे. इस दौरान समन्वय समिति के अध्यक्ष तेजस्वी यादव ने दो टूक कहा हमें एनडीए के दुष्प्रचार का करारा जवाब देना है. सभी घटक दलों को चुनाव जीतने के लिए साझा प्रयास करने की जरूरत है. सभी घटक दलों के एक-एक नेता ने संबोधित किया. कहा गया कि सभी दलों के कार्यक्रम महागठबंधन के साझा कार्यक्रम माने जायेंगे.इसी दौरान उपसमितियों मसलन प्रचार-प्रसार उपसमिति, साझा संकल्प पत्र,मीडिया एवं संवाद, सोशल मीडिया और चुनाव आयोग एवं कानून संबंधी उपसमिति के पदाधिकारियों के साथ भी समन्वय समिति की बैठक हुई. सीटिंग-गेटिंग का लागू हो सकता है फाॅर्मूला महागठबंधन की समन्वय समिति की गुरुवार को हुई बैठक में उसके घटक दलों ने सीट दावेदारी के फाॅर्मूला पर गंभीर विचार मंथन किया. हालांकि, इस संबंध में कोई सर्वमान्य निर्णय तो नहीं हुआ, लेकिन इस बात पर सहमति बनी कि पिछले विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर संबंधित दल जीता था, वह सीट इस बार भी उसी के खाते में रहनी चाहिए. इसके अलावा वह सीट भी उसी दल के खाते में जानी चाहिए, जहां उसका प्रत्याशी 10 हजार के अंतर या बेहद कम वोटों से हार गया था. हालांकि, कांग्रेस इस फाॅर्मूले पर सहज नहीं दिख रही है. वह पिछले विधानसभा सीट की कुछ सीटें बदलना चाहती है. उसका मानना है कि हमें पिछली बार मिली अधिकतर सीटें विभिन्न समीकरणों के हिसाब से हमारी रणनीति के हिसाब से नहीं थी.

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