संवाददाता,पटना
पद्मश्री उषाकिरण खान द्वारा वर्ष-2015 में गठित साहित्य के क्षेत्र में महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण मंच ‘आयाम’ साहित्य का स्त्री-स्वर का 10वां वार्षिकोत्सव जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में आयोजित हुआ. इस अवसर पर वक्ताओं ने पद्मश्री उषाकिरण खान की साहित्यिक विरासत को ‘आयाम’ के रूप में सहेजने के प्रयास की सराहना की.मौके पर प्रभात खबर के बिहार हेड व वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने कहा कि आयाम का 10 साल पूरा होना अपने आप में इतिहास है. इसकी गतिशीलता इस बात को दर्शाता है कि महिलाएं सब कुछ कर सकती है. समाज आधुनिक हो रहा है. महिलाएं भी खुलकर आगे बढ़ रही हैं. दुर्भावना इस बात की है कि महिलाओं का रेशियो पहले की अपेक्षा कम हुआ है. वर्तमान में यह 889 है. यह आंकड़ा समाज की वास्तविकता से परिचय करता है. उन्होंने कहा कि पंचायत में 50% आरक्षण महिलाओं को मिला है. नौकरियों में 35 प्रतिशत की भागीदारी दी गयी है. उन्होंने पद्मश्री उषा किरण खान के साथ जीवन के अंतिम क्षणों में हुए बातचीत के संस्मरणों को सुनाया. एक न्यूज चैनल के वरिष्ठ पत्रकार राजीव रंजन ने कहा कि पद्मश्री उषाकिरण खान ने ‘आयाम’ साहित्य का स्त्री-स्वर के रूप में अनूठी विरासत छोड़ कर गयी है. इस विरासत को आगे बढ़ाना काबिले तारीफ है. दुमका में दो दशक से मुखिया रही कवियित्री निर्मला पुतुल ने कहा कि उषा दीदी के आशीर्वाद से इस मुकाम तक पहुंची है. इस अवसर पर ‘आयाम’ की स्मारिका का लोकार्पण हुआ. अतिथियों का स्वागत ‘आयाम’ की अध्यक्ष डॉ नीलिमा सिंह ने किया. सचिव वीणा अमृत ने वर्ष 2024 में आयाम के तहत होनेवाले विभिन्न कार्यक्रमों व क्रियाकलापों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. प्रथम सत्र का संचालन रचना प्रियदर्शिनी ने किया. कार्यक्रम में पद्मश्री उषाकिरण खान की छोटी बेटी रंगकर्मी कनुप्रिया द्वारा ‘एक थी जानकी’ एकल नाटक का मंचन किया गया. धन्यवाद ज्ञापन तनुजा शंकर ने किया. कार्यक्रम में निवेदिता झा, अर्चना त्रिपाठी, विभा रानी श्रीवास्तव, सुमेधा पाठक सहित अन्य शामिल हुए.
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