पटना सिटी. शास्त्रीय नृत्य की आठ शैलियों में कथक, भरतनाट्यम, ओडिशी, मोहिनीअट्टम, कथकली, कुचिपुड़ी, मणिपुरी, सत्रीय की 100 नृत्यांगनाओं के नृत्य के साथ 11 ऋषि कुमारी एवं 1000 महिलाओं ने एक साथ मां गंगा की आरती की. इस अवसर पर गंगा की कला आरती का अद्भुत नजारा देखकर दर्शक भाव विभोर हो उठे. मौका था कंगन घाट पर सनातनी गंगा फाउंडेशन व आइडीपीटीएस की ओर से 11 दिवसीय गंगोत्सव के आगाज का. कथक गुरु बक्शी विकास के निर्देशन में कला आरती उतारी गयी. नृत्य मुद्राओं के साथ मां गंगा की स्तुति और आरती का संयोजन डॉ पल्लवी विश्वास, विदुषी सुदीपा बोस, इमली दासगुप्ता, गुरु आदित्या श्रीवास्तव ने किया. नृत्यांगनाओं की भाव भंगिमा व रंग बिरंगे परिधान से भारत की अद्भुत संस्कृति एक मंच पर सजा था. सांस्कृतिक आयोजन में शास्त्रीय गायिका विदुषी बिमला देवी ने राग संगीत व गंगा भजन में सुरसरि देवी भगवती गंगे तरल तरणागिनी गंगे माता, गंगा तोरी लहरें सभी के मन भाए व मोरी नैया में लक्षमण राम गंगा मैया धीरे बहो जैसे प्रस्तुति से समा बांध दिया. संगीत नाटक अकादमी अवार्डी विदुषी नृत्यांगना सुदीपा बोस ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति में गंगा अवतरण से उपस्थित लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया. रस एवं भाव के माध्यम से सुदीपा बोस ने भागीरथ की तपस्या से धरती पर गंगा के प्रवाह तक की कथा को जीवंत किया. सितार वादक नीरज मिश्र के सितार व सूरज कांत पांडेय के तबले की जुगलबंदी ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी.
संस्कृति का संगम है कला आरती
आयोजन में उपस्थित महापौर सीता साहू ने कहा कि गंगा कला आरती भारत की सभ्यता और संस्कृति का संगम है. गंगोत्सव के कैप्टन प्रवीण कुमार ने कलाकारों और अतिथियों को प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया. संचालन बक्शी विकास व धन्यवाद ज्ञापन मुख्य संयोजक सह महापौर प्रतिनिधि शिशिर कुमार ने किया. आयोजन में गंगोत्सव के संयोजक सुजीत वर्मा, संदीप कुमार, विवेक तिवारी, डब्लू कुमार, सहयोगी संस्था गंगा सेवा दल समन्वय समिति के अध्यक्ष डॉ राजीव गंगौल, पंडित राजेश शुक्ल, सुजीत कसेरा, विकास राज जयसवाल समेत अन्य काफी संख्या में भक्त उपस्थित थे. मुख्य संयोजक शिशिर कुमार ने बताया कि आयोजन 16 जून तक चलेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है