संवाददाता, पटना
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इंडिया महागठबंधन के नेताओं के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सत्ताधारी बिहार को गुजरात समझने की गलती न करे. यह बिहार है. बिहार पूरी तरह सतर्क है. अब की बार बिहार से आर-पार की बात होगी. आयोग पर उन्होंने आरोप लगाया कि सर्वेक्षण की इस प्रक्रिया से विपक्षी दलों के बीएलए को अलग रखा गया है. उन्हें सूचित तक नहीं किया गया है.
तेजस्वी ने कहा कि चुनाव आयोग की यह एसआइआर प्रक्रिया केवल एक आई वाॅस है. चुनाव आयोग ने बीजेपी ने बूथ के आंकड़ों के हिसाब से पहले ही जोड़-तोड़ कर रखा है. हमारी एक-एक वोटर पर नजर है. उन्होंने सवाल उठाया कि जो चार करोड़ लोग बिहार से बाहर हैं, उनके प्रपत्रों की अपलोडिंग या उनका सर्वे कैसे हो गया? कहा कि चुनाव आयोग की वेबसाइट के संचालन में धरातल पर आ रही गंभीर तकनीकी समस्याओं की अनेदखी की जा रही है. मांग की कि गणना प्रपत्र अपलोडिंग के विधानसभा वार प्रतिदिन लाइव डैसबोर्ड बनाया जाये. कहा कि देवघर से लेकर पटना के कई क्षेत्रों में गणना प्रपत्र सड़कों पर फेके मिले हैं. देवघर में तो उसमें रख कर जलेबी बेची जा रही हैं. आखिर ये प्रपत्र बाजार में पहुंचे कैसे? इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि आयोग बताये कि 80 फीसदी प्रपत्रों में कितने अपलोड किये हैं. एक भी बीएलओ किसी भी मतदाता के दरवाजे पर सर्वे के लिए नहीं गया है. वीआइपी नेता मुकेश सहनी ने कहा कि आयोग के पास कोई विजन नहीं है. उसे सभी पार्टियो के पक्ष में खड़ा होना चाहिए. न कि सिर्फ सत्ताधारी दल के लिए. आयोग किसी एक पार्टी के लिए नहीं है.भाकपा-माले के धीरेन्द्र कुमार झा, सीपीआईएम के राज्य सचिव ललन चौधरी, सीपीआई के रामबाबू ने भी संबोधित किया. सभी ने आयोग के सर्वेक्षण प्रक्रिया की कमियां गिनायीं.
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