संवाददाता, पटना
ग्रह-गोचरों की दुनिया में वैशाख कृष्ण प्रतिपदा में सोमवार को बड़ा हलचल हो रहा है. ग्रहों के अधिपति सूर्यदेव इस दिन स्वाति नक्षत्र व जयद् योग में मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य का यह गोचर हिंदू धर्मावलंबियों के लिए खास महत्व रखता है. आज जयद् योग में सतुआनी और मंगलवार को जुड़शीतल का पर्व मनाया जायेगा. इसके साथ ही विगत एक माह से चला आ रहा खरमास भी इस दिन समाप्त हो जायेगा.पंडित राकेश झा ने बताया कि आज वैशाख कृष्ण प्रतिपदा को सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करेंगे. सतुआनी पर सूर्य का अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि की संक्रांति होगी. इसके साथ ही कर्क रेखा से दक्षिण की ओर जाने के कारण कल 15 अप्रैल को जुड़शीतल पर विशाखा नक्षत्र व सिद्धि योग का उत्तम संयोग बन रहा है. इस दिन सूर्यदेव की कृपा पाने व पितरों को संतुष्ट करने के लिए सत्तू, गुड़, चना, पंखा, सजल घट, आम, ऋतु फल एवं अन्य दान का विशेष महत्व है.
सिद्धि योग में जुड़शीतल कल :
पंडित झा के अनुसार जुड़शीतल का पर्व बिहार समेत प्रदेश के विभिन्न प्रांतों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस पर्व का मिथिला में काफी महत्व है. यह पर्व 15 अप्रैल को विशाखा नक्षत्र व सिद्धि योग में मनाया जायेगा. इस पर्व में आज रात जल को मिट्टी के घड़े या शंख में ढंक कर रखने के बाद जुड़शीतल के दिन प्रात: काल उठकर बड़े-बुजुर्ग घर के सभी सदस्यों और चारों ओर जल का छींटा देते हैं. मान्यता है कि स्नेहसिक्त जल के छींटे से तन, मन और मस्तिष्क में शीतलता व आरोग्यता की प्राप्ति तथा पूरा घर व आंगन शुद्ध हो जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है