संवाददाता, पटना
पंडित राकेश झा ने बताया कि वट वृक्ष को देव वृक्ष माना गया हैं. इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा कर महिलाएं देवी सावित्री के त्याग, पति प्रेम एवं पति व्रत धर्म का स्मरण करती हैं. इस पेड़ में बहुत सारी शाखाएं नीचे की तरफ लटकी हुई होती हैं, जिन्हें देवी सावित्री का रूप माना गया है. इसमें ब्रह्मा, शिव, विष्णु और स्वयं सावित्री भी विराजमान रहती हैं.
पंडित राकेश झा ने कहा कि वट सावित्री की पूजा में मिथिलांचल की नवविवाहिता वट की पूजा-अर्चना करेंगी. शादी के बाद पहली बरसाइत में पूरे दिन उपवास कर सोलह शृंगार कर आंगन को अरिपन से लेप कर पति-पत्नी संग में वट की पूजा नियम-निष्ठा से करने के बाद चौदह बांस से निर्मित लाल-पीला रंग में रंगा हुआ हाथ पंखा से वट वृक्ष को हवा देंगी. वर पूजा के बाद नवदंपत्ति को बड़ी-बुजर्ग महिलाएं धार्मिक व लोकाचार की कई कथाएं सुनायेंगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है