अनुज शर्मा, पटना
पटना में मंगलवार को ईस्टर्न रीजनल पॉवर मिनिस्टर्स कान्फ्रेंस के दौरान पतरातू–लातेहार परियोजना के नौ साल से लंबित फॉरेस्ट क्लियरेंस को लेकर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और झारखंड के प्रतिनिधियों के बीच केंद्रीय और राज्य दोनों स्तर पर लंबे समय से पनप रही अनबन सार्वजनिक हो गयी. इस बीच बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव ने तुरंत हस्तक्षेप कर झारखंड का समर्थन करते हुए एक समिति गठन का सुझाव दिया, लेकिन केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने फॉरेस्ट एक्ट के कड़े नियमों का पालन ज़रूरी बताकर प्रस्ताव खारिज कर दिया. हालांकि बिहार के ऊर्जा मंत्री ने पलटकर कह दिया, बदलाव तो एक्ट में भी होते हैं.
बिजली परियोजनाओं को लेकर समस्या और मांग पर चर्चा के दौरान झारखंड का प्रतिनिधित्व कर रहे झारखंड ऊर्जा संचार निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक कमलेश कांत वर्मा ने पतरातू प्रोजेक्ट के लिए केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से क्लियरेंस न मिलने की बात कही. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने पूछ लिया कि कब से लंबित है. इस पर केके वर्मा ने कहा कि नौ साल से मामला लंबित है.
नौ साल की बात सुनकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री चौंक गए. वह बोले कि फॉरेस्ट क्लियरेंस से पहले तो इस बात की जांच होनी चाहिए कि आपको इतना समय कैसे लग गया. फॉरेस्ट क्लियरेंस के लिए जो भी क्वेरी की गई थीं, उनको देने में देरी कैसे हुई, फॉल्ट कहां पर है. झारखंड के अधिकारी ने कहा कि जो भी क्वेरी हमसे हो रही हैं, हम उनका समाधान कर देते हैं, लेकिन फिर नई क्वेरी आ जाती है. मनोहर लाल ने इस पर कहा कि इस लाइन की इन्क्वारी करा लेते हैं? झारखंड के मंत्री सुदिव्य कुमार ने भी इस बीच अपनी बात रखी.
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