Varanasi-Kolkata Expressway: बिहार के लिए साल 2025 चुनावी साल है. ऐसे में बिहार और केंद्र सरकार की ओर राज्य के विभिन्न जिलों में सड़क, फोरलेन और एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है. इस बीच वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए अपनी जमीन देने वाले रैयतों को निर्देश जारी किया है. वाराणसी-रांची-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण को लेकर अधिग्रहित भूमि पर निर्माण कार्य और इसके साथ ही मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया भी तेज हो गई है. ऐसे में रैयतों को निर्देश दिया गया है कि, अधिग्रहित भूमि पर आगामी धान की फसल न लगाएं. ताकि निर्माण कार्य किसी भी तरह से प्रभावित ना हो और रैयतों को किसी तरह का आर्थिक नुकसान ना उठाना पड़े.
रैयतों को ही उठाना पड़ सकता है नुकसान
जानकारी के मुताबिक, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी की ओर से यह देखा गया कि, एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन देने वाले रैयत धान की फसल तैयार करने में जुटे हैं. जबकि, वह भूमि भारतमाला परियोजना के लिए अधिग्रहित की जा चुकी है और उस पर कार्य प्रारंभ भी हो चुका है. फसल का उत्पादन होने से एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य में बाधा आयेगी, रैयतों को आर्थिक हानि होगी और इसके साथ ही मुआवजे की प्रक्रिया में उलझन का सामना करना पड़ सकता है. इन तमाम परिस्थितियों को आंकते हुए पहले ही रैयतों के लिए आदेश जारी कर दिया गया है.
रैयतों को जागरुक करने का आदेश
खबर की माने तो, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी की ओर से इस मुद्दे को लेकर जिला कृषि पदाधिकारी, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी और सभी संबंधित अंचलाधिकारियों आदेश जारी कर दिया है. रैयतों को जागरुक करने की बात कही गई है. कहा गया कि, रैयतों को समझाया जाए कि, परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि पर खेती करने से उनका ही नुकसान होगा. बता दें कि, कृषि विभाग एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को समन्वय में रहकर जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में देखा जा सकता है कि, वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे का काम जोर-शोर से शुरू किया गया.
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