Expressway in Bihar: पटना. वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस वे बिहार के चार जिलों से होकर गुजरेगा. इस एक्सप्रेसवे का निर्माण बिहार के गया, औरंगाबाद, रोहतास, और कैमूर जिलों के लिए महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना से न सिर्फ इन जिलों में आर्थिक और सामाजिक विकास की नई लहर आएगी, बल्कि यह परियोजना उत्तर प्रदेश से लेकर झारखंड तक की कनेक्टिविटी में सुधार लाएगी.
परियोजना की प्रमुख बातें
- कुल लंबाई: 610 किमी
- लागत: 35,000 करोड़ रुपये
- बिहार में लंबाई: 160 किमी
- प्रवेश: उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले से
- बिहार से निकास: गया के इमामगंज से झारखंड की ओर
2027 तक पूरा होगा निर्माण कार्य
610 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे 35,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है. इस एक्सप्रेसवे को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके निर्माण से वाराणसी से कोलकाता की दूरी मौजूदा 15 घंटे से घटकर सिर्फ 9 घंटे रह जाएगी. यह परियोजना पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा वन मंजूरी की प्रक्रिया में किए गए संशोधनों से और भी सुगम हो गई है.
बिहार में 160 किलोमीटर का हिस्सा
इस एक्सप्रेसवे का करीब 160 किलोमीटर हिस्सा बिहार से होकर गुजरेगा, जो चंदौली से बिहार में प्रवेश करेगा और गया के इमामगंज से झारखंड की ओर बढ़ेगा. कैमूर पहाड़ियों में 5 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण इस एक्सप्रेसवे का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा होगा. इसके साथ ही सासाराम के तिलौथू में सोन नदी पर पुल का निर्माण और जीटी रोड से औरंगाबाद की कनेक्टिविटी को विशेष रूप से ध्यान में रखा गया है.
व्यापार और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इस एक्सप्रेसवे के निर्माण से बिहार के व्यापार और औद्योगिक विकास को भी नया आयाम मिलेगा. किसानों और व्यापारियों के लिए अपने उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचाना आसान हो जाएगा. साथ ही, वाराणसी और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी होने से पर्यटन और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे. यह सड़क वर्तमान में जीटी रोड के बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा सकता है.
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