बिहार में कई दशकों तक सुर्खियों में रहने वाले विवेकानंद सिंह उर्फ विवेका पहलवान की मौत हो चुकी है. पिछले दिनों उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. जिसके बाद अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. बीती रात उन्होंने आखिरी सांस ली. विवेका पहलवान बिहार में बेहद सुर्खियों में बने रहे हैं. पटना-नालंदा-मोकामा से सटे टाल क्षेत्र में बाहुबली अनंत सिंह और विवेका पहलवान के बीच अस्सी के दशक से खूनी रंजिश चलती रही. रिश्तों में कई बार उतार-चढ़ाव भी देखने को मिले. एक दौर ऐसा भी था जब दोनों गुटों के बीच ताबड़तोड़ गोलीबारी चलती रही. कई लाशें इस रंजिश में गिरती रही.
अनंत सिंह और विवेका पहलवान की रंजिश
बाहुबली रहे पूर्व विधायक अनंत सिंह और विवेका पहलवान आपस में रिश्तेदार बताए जाते हैं. लेकिन दोनों के बीच इस कदर तलवार खिंची रहती थी कि टाल इलाका आए दिन गोलीबारी से दहलता था. खुद अनंत सिंह इस हमले का शिकार बने थे और उनके ऊपर जानलेवा हमला हुआ था. बाढ़ में एक गांव है लदमा, जहां अनंत सिंह और विवेका पहलवान का घर है. दोनों गुटों के बीच खूनी लड़ाई कभी इस कदर चली कि दोनों के परिवार ने कई सदस्यों को हमले में खो दिया.
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दोनों के रिश्तेदारों की गिरी लाश
अनंत सिंह के बड़े भाई फाजो सिंह और विरंची सिंह की हत्या गैंगवार में हुई. विवेका पहलवान ने भी अपने भाई संजय सिंह को इस गैंगवार में खो दिया था. अनंत सिंह के भाई विरंची सिंह की जब हत्या हुई तो दोनों गुटों में गैंगवार और बढ़ गया. 1995 के विधानसभा चुपाव में अनंत सिंह के घर पर हमला हुआ था जिसमें अंधाधुन गोलीबारी दोनों तरफ से हुई थी. अनंत सिंह के बहनोई भी इस हमले में मारे गए थे. दोनों तरफ से लाशें बिछ गयी थी.
अनंत सिंह पर गोलियों की हुई थी बौछार
2004 में अनंत सिंह पर ताबड़तोड़ गोलीबारी हुई थी. आधा दर्जन से अधिक गोली अनंत सिंह को लगी थी. हालांकि वो बाल-बाल बच गए. आरोप विवेका पहलवान के ही गुट पर लगा था. बाद में विवेका पहलवान के भाई संजय सिंह की हत्या सरकारी दफ्तार में कर दी गयी थी. ठीक एक साल बाद अनंत सिंह के भाई फाजो सिंह की हत्या हुई थी. इस हत्याकांड में विवेका पहलवान के भाई भी नामजद अभियुक्त बनाए गए थे.
दशकों की दुश्मनी दोस्ती में भी बदली
30 से 40 साल पुरानी यह दुश्मनी बाद में दोस्ती में भी बदली. जब अनंत सिंह के घर भी विवेका पहलवान आए थे और कहा था कि अब सारे गिले-सिकवे दूर हो गए हैं. ऐसा दिन भी दिखा जब विवेका पहलवान अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को चुनाव जिताने मैदान में उतर गए. मोकामा उपचुनाव के समय अनंत सिंह जेल में थे लेकिन विवेका पहलवान उनकी पत्नी के समर्थन में प्रचार करने उतरे थे.