संवाददाता, पटना केंद्रीय विद्युत, आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने पटना में पूर्वी क्षेत्रीय विद्युत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि देश के ऊर्जा क्षेत्र को भविष्य के अनुरूप सशक्त बनाने के लिए राज्यों को उत्पादन, पारेषण और वितरण तीनों मोर्चों पर ठोस कार्य करने की ज़रूरत है. उन्होंने खासतौर पर बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से कहा कि वे केंद्र सरकार द्वारा बजट 2025-26 में दिए गए 1.5 लाख करोड़ के ब्याजमुक्त ऋण का इस्तेमाल अपने पावर इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने में करें.बैठक में बिहार की तरफ से मल्टी स्टोरेज के लिए 1000 मेगावाट की मांग की गयी है, जिसकी स्वीकृति दी गयी. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री भरोसा दिलाया कि बिहार में न्यूक्लियर पावर यूनिट लगाने के लिए मदद करेंगे. कहा कि पूर्वी क्षेत्र के राज्यों को बिजली आपूर्ति में रुकावट नहीं आने दी जाएगी. सोलर पावर, विंड पावर और थर्मल पावर स्टोरेज परियोजनाओं की समीक्षा हुई. ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, झारखंड के मंत्री सुदिव्य कुमार, ओडिशा के उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव और पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों के अधिकारी शामिल हुए. केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाईक और बिजली सचिव पंकज अग्रवाल ने भी भाग लिया. आइलैंडिंग योजनाएं लागू करने की सलाह केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि भारत की बिजली प्रणाली राष्ट्रीय ग्रिड बन चुकी है, जो ‘एक राष्ट्र-एक ग्रिड’ के दृष्टिकोण को साकार करता है.मनोहर लाल ने राज्यों से भविष्य की मांग, जो 2034-35 तक 446 गीगावाट तक पहुंच सकती है, को पूरा करने के लिए संसाधन योजनाएं तैयार करने को कहा. इसमें परमाणु, नवीकरणीय और अन्य स्रोतों से बिजली उत्पादन का संतुलित मिश्रण शामिल होना चाहिए. प्रत्येक राज्य में कम से कम एक परमाणु बिजली संयंत्र स्थापित करने पर विचार करने का सुझाव दिया गया. राज्यों को अंतराज्यीय संचरण परियोजनाओं की समस्याएं, जैसे रास्ते का अधिकार, हल करने और 2025-26 के बजट में दिए गए 1.5 लाख करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त ऋण का उपयोग करने की सलाह दी गई. बिजली ग्रिड को साइबर खतरों से बचाने के लिए आइलैंडिंग योजनाएं लागू करने की सलाह दी गयी. वितरण क्षेत्र को बिजली क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुए, मनोहर लाल ने कहा कि 2032 तक इस क्षेत्र को 42 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी. अगस्त 2025 तक सरकारी कार्यालयों और कॉलोनियों में, और नवंबर 2025 तक वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए प्री-पेड स्मार्ट मीटर्स लगाने का लक्ष्य रखा गया.
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