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चाहिए ऐसा जनप्रतिनिधि जो दे सके शिक्षा और रोजगार, प्रभात खबर संवाद में युवाओं ने रखी अपनी बात

पटना के प्रभात खबर ऑफिस में लोकसभा चुनाव को लेकर ‘संवाद’ का आयोजन किया गया. जहां ‘युवाओं की जरूरत, शिक्षा व रोजगार’ विषय पर बेबाकी से युवाओं ने रखी अपनी बात.

राजधानी पटना में शनिवार (एक जून) को होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर प्रभात खबर ऑफिस में सोमवार को ‘संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसका विषय  ‘युवाओं की जरूरत, शिक्षा और रोजगार’ था. कार्यक्रम में कई कॉलेजों के स्टूडेंट्स व विभिन्न सेक्टरों से जुड़े युवा शामिल हुए और बेबाकी से अपनी बातें रखीं. मौके पर उन्होंने कहा कि वोट देकर हम अपने अधिकार का उपयोग कर सकते हैं और देश को चलाने के लिए अच्छे प्रतिनिधि का चुनाव कर सकते हैं. वोट से हम अच्छे सांसद, विधायक, पार्षद, जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य चुन सकते हैं.  

‘प्रभात खबर संवाद’ में युवाओं ने कहा कि जनप्रतिनिधियों का चुनाव हमें अपने भविष्य के बारे में सोचते हुए करना होगा. यह हम सभी की जिम्मेदारी है. अपने जनप्रतिनिधि को चुनते समय सभी वर्गों के विकास के मुद्दों को भी ध्यान में रख वोट करें. युवाओं ने महिला उत्थान और स्वास्थ्य व्यवस्था को भी बेहतर बनाने को लेकर अपने विचार व्यक्त किये. इसके साथ ही चुनाव में हमेशा जातीवाद को दरकिनार कर युवाओं को बेहतर रोजगार मुहैया कराने वाली सरकार को ही चुनने की अपील की. 

युवा बोले – किसी पर आरोप लगाने से अच्छा है, खुद से बदलाव लाने की पहल करें, वोट करें

सरकार चुनने की आजादी हम सभी को है. इसके लिए वोट करना जरूरी है. दूसरों पर आरोप लगाने से अच्छा है कि आप खुद से बदलाव लाने की पहल करें. इसके लिए पहले खुद को जागरूक करना होगा. युवाओं को भी राजनीति से जुड़ना होगा. एक विजन होने से ही आप शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य जैसे खास मुद्दों पर काम कर सकते हैं.

– शैल सिंह, मैनेजमेंट सेक्टर

हमारे यहां प्राय: सेशन लेट से शुरू होता है और खत्म होने में एक लंबा वक्त लग जाता है. यही वजह है कि यहां के स्टूडेंट्स बाहर जाने के लिए मजबूर हैं. यहां टैलेंटेड लोग हैं, लेकिन उनके लिए सही प्लेटफॉर्म की कमी है. खुद को पहले जागरूकता बनाएं और वोट देकर काम करने वाले जनप्रतिनिधि का चुनाव करें.

– रूपा कुमारी, छात्रा एएन कॉलेज

पर्यावरण के प्रति भी हम सभी को जागरूक होने की जरूरत है. जहां एक ओर सौंदर्यीकरण व मेट्रो का काम चल रहा है. वहीं, पुराने पेड़ों को काट जा रहा है. इतनी गर्मी में आपको पेड़ की छांव मिलना मुश्किल है. सरकार को प्लांटेशन ड्राइव चलाना चाहिए. क्षेत्र में दिखने वाले कचरे का सही निष्पादन होना चाहिए.

– अमन पुष्पेश, एनजीओ

हर व्यक्ति को लोकतंत्र में बराबर का हक है, लेकिन किसी खास जाति या वर्ग को आरक्षण मिलना इस हक के खिलाफ है. किसी भी क्षेत्र में आरक्षण आर्थिक स्तर पर दिया जाना चाहिए. यह हमारे राजनीतिक प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि वे इस मुद्दे को संसद में उठाएं.

– सुधांशु, बीजेएमसी छात्र

यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि अपने जनप्रतिनिधि को चुनते समय शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दे पर विचार कर मतदान करें. यह ऐसे मुद्दे हैं, जिससे हर क्षेत्र और तबके के युवा प्रभावित होंगे. नेता व जनप्रतिनिधि को चुनते समय जातिवाद को दरकिनार कर शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में काम करने वालों का चुनाव करें.

– करण कुमार, पीयू छात्र

मौजूदा दौर में युवाओं के लिए सबसे बड़ा मुद्दा स्वास्थ्य, शिक्षा और बेरोजगारी का है. जनप्रतिनिधियों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए की विभिन्न सेक्टर में ससमय रोजगार प्रदान करने के लिए वैकेंसी निकाली जाये. जरूरत है हर राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाया जाये.

– शिवम शुक्ला, मेडिकल छात्र

महिलाओं के बारे में सोचने वाले नेता को हम वोट करेंगे. जो माहवारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए काम करें. अभी भी महिलाएं कपड़ों का प्रयोग करती हैं. सेनेटरी पैड की कीमत अधिक है, उसे कम करने की जरूरत है. साथ ही लड़कियों को स्कूल ओर दफ्तर में पीरियड्स लीव मिले.  

 – विशु, सामाजिक कार्यकर्ता

ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार लाने की जरूरत है. वीवीआइपी पासिंग व्यवस्था से मुझे काफी नाराजगी है. एक वाहन के लिए दर्जनों गाड़ियां जाम में फंसी रह जाती हैं, चाहे इसमें एंबुलेंस ही क्यों न हो. यह सही नहीं है. आम आदमी की तरह खास को भी व्यवस्था दी जानी चाहिए. साथ ही शिक्षा में भी विकास करना होगा.

– राहुल आकाश, छात्र

लोकतंत्र को धनतंत्र में बदल दिया गया है. जिसके चलते सही नेता चुनकर सामने नहीं आते. इससे विकास के कार्यों में समस्या आती है. अच्छे जनप्रतिनिधि का चुनाव कर जातिवाद को खत्म करना होगा और शिक्षा और रोजगार को बढ़ाना होगा. ताकि, पढ़ाई के बाद युवाओं को नौकरी जल्द से जल्द नौकरी मिल जाये.

– अंशुमान सिंह, वकील व साहित्यकार

वर्तमान के नेता संवेदनहीन हो गये हैं. जमीनी स्तर पर काम नहीं कर रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण संघर्षशील व्यक्ति का नेता नहीं बन पाना है. परिवारवाद का चलन है. जिस परिवार के लोग नेता-मंत्री हैं, उनके घर के ही सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए. इसपर रोक लगना चाहिए.

– विश्वजीत कुमार, सॉफ्टवेयर डेवलपर

हमारे साथ अन्याय हो रहा है. इसके बाद भी छात्र एकजुट होकर आवाज नहीं उठा पा रहे हैं. युवाओं को देश के बारे में भी सोचना होगा, कि हमारा देश कहां जा रहा है, क्या स्थिति है? मैं वैसे नेता का चुनाव करूंगा, जो हमारे मुद्दे पर बात करें. शिक्षा का स्तर गिर रहा है पर आवाज उठाने वाला कोई नहीं है.

– प्रिंस कुमार झा, छात्र

सबसे पहले सिफारिश व्यवस्था बंद होनी चाहिए. जिस व्यक्ति की पहचान ऊंचे स्तर के लोगों तक होता है, उनका काम मिनटों में हो जाता है. जबकि, आम आदमी लाइन में खड़ा रह जाता है. अस्पतालों में भी यही समस्या है. सरकारी व प्राइवेट सेक्टर में आउटसोर्सिंग पर काम चल रहा है. टैलेंटेड युवा आज बेरोजगार हैं.

– नीरज कुमार झा, छात्र

सबसे पहले जातिवाद को खत्म करना होगा. नेता कैसा हो? यह कोई नहीं देखता है. सभी को चाहिए कि हमारे जाति के नेता की जीत हो. भले वह क्षेत्र में काम कर रहा हो या नहीं. बिहार टॉपर दूसरे राज्यों व देशों में बेहतर कर रहे हैं, जबकि अपने राज्य में नहीं.

– अमित पांडेय, व्यवसायी

मैं मास्टर्स इन लाइब्रेरी साइंस कंप्लीट कर चुकी हूं. परंतु, इसकी वैकेंसी नहीं आ रही है. कई मेरे मित्र इसके भरोसे बैठे हैं. इसमें हमारी क्या गलती? सभी नेताओं ने आश्वासन दिया. लेकिन, काम करने में सभी पीछे हट जा रहे हैं. इससे सैकड़ों लोग नाराज हैं. हम वोट नहीं देना चाहते.

– रश्मि कुमारी, पूर्व छात्रा पीपीयू
Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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