Bihar News: बिहार के बेतिया (पश्चिम चंपारण) से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक ईमानदार किसान को बेटे की दरोगा बहाली में मदद के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ा. मामला चंपारण रेंज के डीआईजी हरकिशोर राय के संज्ञान में आने के बाद तूल पकड़ गया. डीआईजी के निर्देश पर साठी पुलिस ने पटना में पदस्थापित एक दरोगा देव मोहन सिंह को गिरफ्तार किया है.
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
मामले की शुरुआत 11 मई 2024 को हुई, जब बेतिया के भेड़िहरवा गांव निवासी रघुनाथ पंडित बस स्टैंड स्थित एक दुकान पर अपने परिचित से मिलने गए थे. वहीं उनकी मुलाकात बेतिया यातायात थाना में कार्यरत दरोगा देव मोहन सिंह से हुई. बातचीत के दौरान रघुनाथ ने दरोगा को बताया कि उनका बेटा जितेंद्र दरोगा भर्ती की पीटी और मेंस परीक्षा पास कर चुका है. इस पर देव मोहन सिंह ने खुद को “ऊपर तक” की पहुंच वाला बताते हुए फिजिकल टेस्ट में पास कराने का आश्वासन दिया.
13 लाख की ठगी
रघुनाथ पंडित ने देव मोहन सिंह पर भरोसा करते हुए 2 लाख नकद और 2.50 लाख पे-फोन के जरिये कुल 4.50 लाख रुपए दिए. वहीं दरोगा के सहयोगी राहुल यादव को भी 3.85 लाख नकद और 4.64 लाख पे-फोन से कुल 8.49 लाख रुपए दिए गए. कुल मिलाकर 13 लाख रुपए खर्च कर दिए गए, जो रघुनाथ ने अपनी जमीन बेचकर जुटाए थे.
जब बेटा फेल हुआ, खुली पोल
लेकिन जितेंद्र जब फिजिकल टेस्ट में फेल हो गया, तब रघुनाथ ने पैसे वापस मांगे. इसके बाद दरोगा ने फोन उठाना बंद कर दिया और इस बीच उसका ट्रांसफर पटना हो गया. ठगी का एहसास होने पर रघुनाथ ने पुलिस से शिकायत की.
कार्रवाई में तेजी
साक्ष्यों के आधार पर साठी पुलिस ने देव मोहन सिंह को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि सहयोगी राहुल यादव की भूमिका की जांच की जा रही है. इस मामले ने बहाली प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है.
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