गांधी मैदान बचाने के लिए आंदोलन को तेज किया जा रहा है. आंदोलन के संचालन के लिए गांधी मैदान बचाओ संघर्ष समिति बनायी गयी है. मैदान के अंदर पार्क बनाने का सबसे अधिक विरोध वहां टहलने वाले कर रहे हैं. लोगों ने बताया कि गांधी मैदान का सबसे पहले रकबा 74 एकड़ का है. आधे से अधिक जगह पर निर्माण करा दिया गया है. इसमें बिजली विभाग, टेलीफोन विभाग, कई संस्था के कार्यालय, दुकान आदि बना दिये गये हैं. अब इसमें पार्क बनाने का काम किया जा रहा है. सुबह-शाम पहुंचने पर यहां टहलने के लिए जगह तक नहीं बचेगी. लोगों ने कहा कि गांधी मैदान का शुरू से विकास व सौंदर्यीकरण के नाम पर अतिक्रमण किया जाता रहा है. इसमें कई वर्ष पहले एक तालाब बना दिया गया है. इसका कोई फायदा यहां नहीं होता है. हर दिन यहां हजारों लोग टहलने आते हैं. बड़े नेताओं व सामाजिक स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन होता है. जगह-जगह पक्का निर्माण कराने के बाद यहां सब कुछ अवरुद्ध हो जायेगा. निर्माण को लेकर लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है.
हाइकोर्ट के आदेश की हो रही अवहेलना
सामाजिक कार्यकर्ता वृजनंदन पाठक ने गांधी मैदान को अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए अधिकारियों को कई बार आवेदन दिया. इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं होने पर हाइकोर्ट में मुकदमा दायर किया. श्री पाठक बताते हैं कि हाइकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट उसके बाद फिर से हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. सरकार की ओर से लिखित तौर पर दिया गया कि गांधी मैदान में किसी प्रकार का निर्माण नहीं कराया जायेगा. इसके साथ ही अतिक्रमण को भी हटाया जायेगा. उस वक्त अतिक्रमण हटाने का काम भी शुरू किया गया. उसके बाद इस आदेश की अवहेलना बार-बार की जा रही है. गांधी मैदान बचाने के लिए लोगों को आगे आना होगा.
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पर्यटन विभाग को यहां के विकास के लिए दिये गये हैं चार करोड़ रुपये
गांधी मैदान को विकसित बनाने के लिए चार करोड़ 31 लाख चार हजार चार सौ रुपये दिये गये. इन पैसों से गांधी मैदान में विश्वस्तरीय तालाब का सौदर्यीकरण, उसके आसपास ग्रीन एरिया, खेल के लिए जगह, पर्यटकों को लुभाने के लिए अन्य तरह का काम किया जाना है. पर्यटन विभाग की ओर से गांधी मैदान के सौंदर्यीकरण का काम शुरू किया गया. दावा किया गया कि गांधी मैदान और भी खूबसूरत दिखेगा. यहां निर्माण का काम शुरू होते ही लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया.
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