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Holi 2024 : बनगांव की अद्भुत होली, 3 दिनों तक मस्ती व रंग भरे माहौल में डूबे रहते हैं लोग

उत्तर प्रदेश के ब्रज की होली को कौन नहीं जानता. लेकिन बिहार के सहरसा जिले के बनगांव में मनायी जाने वाली होली ने भी अब ब्रज की होली जैसी पहचान बना ली है. जानिए क्यों खास है ये होली.

Holi 2024 : सहरसा जिले के बनगांव के विभिन्न टोलियों में रविवार को ही युवाओं की टोली ढोल व मृदंग की धुन पर उत्साह से सराबोर होकर होली गीत गाकर माहौल को भक्ति के रंग में रंग रहे हैं. ग्रामीण बताते हैं कि धुरखेल के बाद सोमवार को रंग-गुलाल खेला जायेगा.

Holi 2024 : आज भी कायम है वर्षों पुरानी परंपरा

गांव में प्रवेश करने के साथ ही आपका वास्ता गगनचुंबी इमारतों से पड़ेगा, लेकिन होली गीत के बार-बार दोहराये जाने वाले शब्द लक्ष्मीपति हो तो समझिए कि आप निश्चित रूप से सहरसा जिला मुख्यालय से आठ किमी पश्चिम बनगांव पहुंच गये हैं. जहां की आबादी वैज्ञानिक युग के अनुसार विकास के पथ पर प्रगति कर रहीं है तो मिथिलांचल की सभ्यता व संस्कृति आज भी रहने वाले सभी लोगों के सीने में कुलांचे भर रही हैं. चाहे फिर घर की चहारदीवारी में ठिठोली करती महिलाओं की मस्ती, होली के रंग व उल्लास में रम रहे युवा हो सभी ब्रज की होली की तरह पारंपरिक रूप से मनायी जाने वाली बनगांव की होली की परंपरा कायम रखे हुए है.

Holi 2024 : जय बाबाजी के नाम पर ही आस्था

गांव के पश्चिमी छोड़ पर लोक देवता संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं की कुटी व आकर्षक रूप धारण किये गोसाईं बाबा का ठाकुरबाड़ी भी ग्रामीणों की बाबा के प्रति आस्था की कहानी सुना रहा है. गांव के बड़े बुजुर्ग हो या बच्चे अपने काम की शुरूआत संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं के स्मरण से ही करते हैं. लोक आस्था के प्रतीक बन चुके देवता को बाबाजी के नाम से भी संबोधित किया जाता है.

Holi 2024 : अद्भूत व मनोरम होता है दृश्य

अमूमन जिले के सभी क्षेत्रों में रंगों का यह पर्व मनाया जाता है. लेकिन बनगांव में मनायी जाने वाली होली सूबे में ब्रज की होली की तरह ही अपनी पहचान बना चुकी है. ग्रामीण बताते है कि द्वापर युग से ही बनगांव में होली की परंपरा रही है. वर्तमान में खेले जाने वाले होली का स्वरूप संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं के द्वारा तय किया गया था. जिसमें गांव के पांच बंगला (दरवाजा) को चिन्हित किया गया था. इसमें गांव के रामपुर बंगला, संतोखरी बंगला, डिहली बंगला, मंजुरी खां बंगला व विषहरी स्थान बंगला शामिल है.

ग्रामीण बताते है कि इन बंगलों पर संबंधित टोला (मोहल्ला) के लोग जमा होकर उंची श्रृंखला बनाते है. इस दौरान संत लक्ष्मीपति रचित भजनों को गाते रहते हैं. अमूमन प्रत्येक बंगलों पर इसी प्रकार उत्सव मनाया जाता है. गांव के मध्य में स्थित दुर्गा स्थान को ही भगवती स्थान भी कहा जाता है. होली के दिन गांव के पांचों बंगलों पर होली खेलने के बाद सभी ग्रामीण जैर (रैला) की शक्ल में भगवती स्थान पहुंच गांव की सबसे उंची मानव श्रृंखला बनाते है. ग्रामीण बताते है कि नंग-धड़ंग अवस्था में पानी की फुहार के बीच एक दूसरे से गले मिल अठखेली करते लोगों को देखने आने वाले दर्शकों की भीड़ हजारों में होती है.

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Holi 2024 : बनगांव में खेले जाने वाली होली का दृश्य

Holi 2024 : त्योहार मनाने का मकसद भी यही है

वैसे तो बनगांव भ्रमण करने पर आपको गांव के लोगों की वेश भूसा सहित रहन-सहन को देख कर नागरीय जीवन का अनुभव होगा, लेकिन कुछ जगह पर बोली जरूर गंवई लगेगी. गांव के लोगों का उचस्थ पदों पर जाना एवं शिक्षित परिवार की अधिकाधिक संख्या बौद्धिक रूप से निपुण गांव की सुंदरता में चार चांद लगा रहा है.

बनगांव का ही रहने वाला व दिल्ली में ऑटो चालक मो मुस्ताक ने बताया कि उसके परिवार वालों को संत ल्क्ष्मीनाथ गोसाईं बाबा से काफी आस्था है. मुस्ताक बताता है कि ईद के मौके पर दिल्ली में ही रहता हूं, लेकिन होली में बनगांव आता हूं. क्योंकि पर्व का यह उल्लास व भाईचारा अन्यत्र नजर नहीं आता है. उसने बताया कि गांव रहने वाले दोस्त मोहन ने सभी तैयारियां कर ली है.

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Holi 2024 : बनगांव में खेले जाने वाली होली का दृश्य

Holi 2024 : होली की महत्ता व पहचान

देश के विभिन्न भागों में होली की सुगबुगाहट शुरू होते ही द्विअर्थी भोजपुरी गीतों का शोर शुरू हो जाता है. ऐसे में होली के मौके पर मनाया जाने वाला तीन दिवसीय महोत्सव बनगांव की होली को सार्थक पहचान दिला रहा है. सूर्यास्त के बाद गांव के कोने-कोने से आ रहीं लक्ष्मीपति भजनावली की आवाज विकास के साथ -साथ लोक-संस्कृति के अक्षुण्ण रखने की कहानी कह रही है.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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