गायत्री शक्तिपीठ में व्यक्तित्व परिष्कार सत्र का आयोजन सहरसा . गायत्री शक्तिपीठ में रविवार को व्यक्तित्व परिष्कार सत्र का आयोजन किया गया. सत्र को संबोधित करते डॉ अरुण कुमार जायसवाल ने कहा कि भगवान शिव दूसरों को सुख देने के लिए विष पीने से भी नहीं हटे. शिव का सच्चा उपासक बनने के लिए उनके गुणों को खुद में उतारें. उन्होंने कहा कि शिव की राह पर चलने का श्रेष्ठ समय सावन है. मान्यता है कि भगवान शिव संसार के समस्त मंगल का मूल हैं. यजुर्वेद की ऋचा में परमात्मा को शिव शंभु व शंकर के नाम से नमन किया गया है. नमः शिवाय शिव शब्द बहुत छोटा है. लेकिन इसके अर्थ इसे गंभीर बना देते हैं. शिव का व्यवहारिक अर्थ है कल्याणकारी, शंभु का अर्थ है मंगलदायक, शंकर का अर्थ है अनंत का श्रोत. तीनों नाम भले ही भिन्न हो लेकिन तीनों का संकेत कल्याणकारी, मंगलदायक, अनंत परमात्मा की ओर ये देवाधिदेव सबके अधिपति महेश्वर सदाशिव हैं. शिव त्रिदेवों के के तरह रुद्र नहीं हैं. भगवान शिव की इच्छा से प्रकट रजोगुण रूप ब्रह्मा, सतोगुण रुप विष्णु व तमोगुण रूप वाले रुद्र हैं. जो सृजन, पालन व संहार का कार्य करते हैं. ये तीनों वस्तुतः शिव की अभिव्यक्ति हैं. इसलिए शिव से पृथक कारी नहीं हैं. ब्रह्मा, विष्णु, महेश तात्विक दृष्टि से एक हैं. इस अवसर पर ऋषि अग्रवाल, अवनी कावरा जयपुर से व रिषभ राज, मोनिका कुमारी न्यू कॉलोनी से शामिल हुए. सभी ने सत्र को संबोधित करते कहा कि यहां शांति है. यहां का वातावरण बहुत अच्छा है. यहां आकर अच्छा अनुभव हुआ. वहीं गायत्री शक्तिपीठ में नौ अगस्त को रक्षा बंधन एवं हेमाद्रि संकल्प सुबह सात बजे से होगा.
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