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संसद में वक्फ बिल पेश होने से पहले अमित शाह से मिले संजय झा और ललन सिंह, JDU ने साफ किया अपना रूख

नई दिल्ली : लोकसभा में वक्फ संसोधन बिल पेश होने से पहले जनता दल यूनाइटेड के दो बड़े नेता संजय झा और ललन सिंह ने केंद्रीय गृहमंत्री अमिता शाह से मुलाकात की और बिल को लेकर अपनी पार्टी का पक्ष गृहमंत्री के सामने रखा.

केंद्र की मोदी सरकार बुधवार को संसद में वक्फ संसोधन बिल पेश करेगी. इसकी जानकारी सरकार ने सदन को दे दी है. इस जानकारी के सामने आते ही जेडीयू के दो बड़े सांसद संजय झा और ललन सिंह ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से उनके दफ्तर में मुलाकात की. हालांकि इन तीनों नेताओं के बीच क्या बात हुई इसकी जानकारी अभी तक सामने नहीं आ पाई है.

वक्फ बिल पर विचार करेगी सरकार : संजय झा

वहीं, वक्फ संशोधन विधेयक पर जेडीयू सांसद संजय झा ने कहा कि नीतीश कुमार पिछले 19 सालों से बिहार में काम कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लिए जो काम किया है, वो भी दिख रहा है. वक्फ बिल पहली बार नहीं आ रहा है. इससे पहले 2013 में भी संशोधित विधेयक आया था. हमारी पार्टी ने कहा था कि इसे पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू नहीं किया जाना चाहिए, और हमें उम्मीद है कि सरकार इस पर विचार करेगी. जब तक नीतीश कुमार राजनीति में हैं, लोगों के हितों की रक्षा की जाएगी.

क्या बोले ललन सिंह?

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन (ललन) सिंह ने कहा कि जेडीयू या बिहार के सीएम नीतीश कुमार को कांग्रेस पार्टी से किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. उन्हें (कांग्रेस को) अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. उन्होंने इस देश और बिहार पर कितने साल राज किया? मुसलमानों के लिए उन्होंने क्या किया. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने पिछले 20 सालों में मुसलमानों के हक और उत्थान के लिए जो काम किया है, वह आजादी के बाद आज तक देश के किसी भी राज्य में किसी सरकार ने नहीं किया.  

संसद में क्या है नंबर गेम

लोकसभा में सांसदों की मौजूदा संख्या 542 है. अगर बीजेपी की बात करें तो इसके पास सबसे ज्यादा नंबर 240 का है. वहीं अगर सहयोगी दलों को भी जोड़ लिया जाए तो NDA सांसदों की संख्या 294 है. लोकसभा में बिल को पास कराने के लिए बहुमत का आंकड़ा 272 चाहिए. ऐसे में अगर बीजेपी को सहयोगी दलों का साथ मिलता है तो उसके लिए लोकसभा में इस बिल को पास कराने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी. वहीं विपक्षी दलों की बात करें तो कांग्रेस के पास सबसे अधिक 99 सांसद हैं. वहीं इंडिया गठबंधन के कुल सांसदों की संख्या 233 है. लोकसभा में कुछ सांसद ऐसे भी हैं जो एनडीए और इंडिया दोनों ही गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. इनमें आजाद समाज पार्टी के एडवोकेट चंद्रशेखर और शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल भी शामिल हैं.

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राज्यसभा में अलग है स्थिति

वहीं राज्यसभा की स्थिति थोड़ी अलग है. ऊपरी सदन में मौजूदा समय में सदस्यों की संख्या 236 है। यहां भी बीजेपी का नंबर सबसे अधिक है। बीजेपी के पास कुल 98 सदस्य हैं. वहीं एनडीए के कुल सदस्यों की संख्या 115 है. अगर इसमें 6 मनोनीत सदस्यों को भी शामिल कर दें तो यह आंकड़ा 121 तक पहुंचता है. राज्यसभा में इस बिल को पास कराने के लिए 119 सदस्यों की जरूरत होगी. ऐसे में उसके बाद बहुमत से 2 सदस्य अधिक हैं. वहीं विपक्षी दलों में कांग्रेस के पास 27 सदस्य हैं. वहीं इंडिया गठबंधन के कुल सदस्यों की संख्या 85 है. इसमें वाईएसआर कांग्रेस के 9, बीजेडी के 7 और एआईएडीमके के 4 सदस्य शामिल हैं. वहीं राज्यसभा में 3 ऐसे भी सदस्य हैं तो ना ही इंडिया गठबंधन और ना ही इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं.

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Prashant Tiwari
Prashant Tiwari
प्रशांत तिवारी डिजिटल माध्यम में पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में एक्टिव हैं. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी से करके राजस्थान पत्रिका होते हुए फिलहाल प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम तक पहुंचे हैं, देश और राज्य की राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखते हैं. साथ ही अभी पत्रकारिता की बारीकियों को सीखने में जुटे हुए हैं.

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