मांझी. बिहार सरकार जहां एक ओर शिक्षा में सुधार के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर स्कूल भवनों की जर्जर स्थिति पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है.
यहां शिक्षा से पहले बच्चों को हर दिन सुरक्षा के संघर्ष से गुजरना होता है. प्रखंड का चकिया स्थित मध्य विद्यालय इसका उदाहरण है, जहां बच्चे जान जोखिम में डाल कर पढ़ाई करने को विवश हैं. मौसम साफ हो तो कक्षाएं बरामदे से लेकर खुले मैदान में, कभी पेड़ों के नीचे तो कभी छायादार दीवारों की ओट में लगा ली जाती हैं. विद्यालय के जर्जर भवन के महज दो कमरों में पहली कक्षा से लेकर आठवीं तक के 151 नामांकित छात्र व छात्रा अपनी जान जोखिम में डालकर पठन-पाठन करने को मजबूर हैं. विद्यालय का एक जर्जर भवन जिसे पहले ही अनुपयोगी घोषित कर दिया गया है. उक्त जर्जर भवन कभी भी ध्वस्त होकर किसी भयावह हादसे का गवाह बन सकता है. इतना ही नहीं वर्ष 2003 व 2004 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत निर्मित विद्यालय भवन के कमरों में से एक को कार्यालय कक्ष तथा दूसरे को किचेन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है. वह भी अब पूरी तरह जर्जर है. विद्यालय में कुल सात शिक्षक पदस्थापित हैं. विद्यालय की प्रधान शिक्षिका हमीदा खातून ने बताया कि नये व पुराने दोनों भवनों के कुल चार कमरों की हालत इस कदर खराब हो चुकी हैं कि उन सभी कमरों की छतों से अक्सर चट्टानें व प्लास्टर टूटकर गिरता रहता है. बरसात होने पर छत से पानी जबरदस्त तरीके से रिसकर कमरों में पूरी तरह फैल जाता है अथवा बहने लगता है. विद्यालय भवन की दीवारों में दर्जनों दरारें स्पष्ट रूप से दिखती हैं. बरसात होने पर चारों कमरों की छतों के धराशायी होने का हर हमेशा खतरा बना रहता है. जर्जर भवन को देखकर अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते हैं. स्थानीय ग्रामीण विद्यालय प्रबंधन ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द स्कूल भवन की मरम्मत या नये भवन का निर्माण कराया जाये, ताकि बच्चों को सुरक्षित माहौल में शिक्षा मिल सके.जन सहयोग से बने टीन शेड में बच्चों की होती है पढ़ाई
विद्यालय कमरों के ध्वस्त होने की आशंका की वजह से पंचायत प्रतिनिधियों व ग्रामीणों के सहयोग से विद्यालय में एक टीन शेड का निर्माण कराया गया था. ग्रामीणों द्वारा बनाये गये शेड के नीचे अथवा बगल के बगीचे में छात्रों का पठन-पाठन किसी तरह कराया जाता है. वह शेड भी आंधी-पानी की वजह से बुरी तरह क्षतिग्रस्त होकर लगभग उजड़-सा गया है. शिक्षकों ने बताया कि बरसात शुरू होते ही बच्चों को जोखिम के भय से छुट्टी दे दी जाती है, जिससे वह अपने घर जाकर बरसात के पानी में भींगकर बीमार होने से बच सकें. उधर शिक्षक उन्हीं जर्जर कमरों में हनुमान चालीसा पढ़कर किसी तरह अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी बजाते हैं. इस सबके अलावा विद्यालय भवन के पीछे उगे झाड़-झंखाड़ में छुपे जहरीले जंतु अक्सर विद्यालय परिसर में आ धमकते हैं, जिससे शिक्षकों व छात्रों में पूरे दिन भय का वातावरण बना रहता है.विभाग से कई बार पत्राचार किया गया, लेकिन कोई पहल नहीं
प्रधान शिक्षिका ने बताया कि वर्ष 2023 में अपना प्रभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने विभाग के वरीय पदाधिकारियों को भवन के जर्जर हालात व जोखिम भरी ड्यूटी से अवगत कराने के लिए पत्राचार किया. परंतु विभाग द्वारा इस दिशा में अबतक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका है.बीइओ ने भी माना, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
मांझी की बीइओ विभा रानी ने बताया कि चकिया मध्य विद्यालय का दोनों भवन जर्जर हालत में है तथा कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. उन्होंने बताया कि पत्र भेजकर उन्होंने जिले के वरीय पदाधिकारियों को हालात से आगाह कर दिया है. परंतु नये भवन के निर्माण की अनुमति जिला प्रशासन ने नहीं दी है. उन्होंने बताया कि नये विद्यालय भवन के शीघ्र निर्माण का मौखिक आश्वासन जिला प्रशासन ने उन्हें दिया है.
खास बातें
– जर्जर हैं स्कूल के कमरे, बारिश होने पर बच्चों को दे दी जाती है छुट्टी- हनुमान चालीसा का पाठ कर ड्यूटी बजाते हैं शिक्षक, सांप-बिच्छु का भी बना रहता है डर- पूर्व में बनीं दोनों बिल्डिंग पूरी तरह जर्जर, नये कमरों का नहीं हो रहा निर्माण
– बीइओ के संज्ञान में भी है ये परेशानी, वरीय अधिकारियों को किया गया है पत्राचारडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है