छपरा. सारण जिला अब फाइलेरिया जैसी दीर्घकालिक और उपेक्षित बीमारी के उन्मूलन की दिशा में एक नये युग में प्रवेश कर चुका है. इस गंभीर रोग की निगरानी और प्रबंधन अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया जायेगा. स्वास्थ्य विभाग ने इसकी शुरुआत करते हुए जिले के 15 हजार से अधिक फाइलेरिया मरीजों का विवरण राष्ट्रीय आइएचआइपी पोर्टल पर अपलोड करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस डिजिटल पहल से मरीजों की रियल टाइम निगरानी संभव हो सकेगी, जिससे इलाज की गुणवत्ता बढ़ेगी, नीति-निर्धारण सटीक होगा और संसाधनों का वितरण अधिक पारदर्शी रूप से किया जा सकेगा.फाइलेरिया विभाग में पदस्थ राज्य सलाहकार डॉ अनुज सिंह रावत ने बताया कि इस पोर्टल के माध्यम से स्वास्थ्यकर्मियों, पर्यवेक्षकों और उच्च अधिकारियों को किसी भी समय, किसी भी स्थान से यह जानकारी उपलब्ध रहेगी कि जिले के किस क्षेत्र में कितने मरीज हैं, उनकी बीमारी की स्थिति क्या है और उन्हें कौन-कौन सी स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं. यह एक स्मार्ट ट्रैकिंग और रिपोर्टिंग प्रणाली है.
आइएचआइपी पोर्टल की विशेषताएं
रियल टाइम मरीज डैशबोर्डपेपरलेस डेटा मैनेजमेंटबिमारी की ग्रेडिंग व अंग की स्थिति का रिकॉर्डदिव्यांगता प्रमाण-पत्र की ट्रैकिंग
स्मार्ट ट्रैकिंग व रिपोर्टिंग सिस्टमहर मरीज की बनेगी डिजिटल प्रोफाइल
आइएचआइपी पोर्टल पर मरीज की पूरी डिजिटल प्रोफाइल उपलब्ध होगी, जिसमें उसके नाम, आयु, लक्षण, प्रभावित अंग, बीमारी की गंभीरता, इलाज की स्थिति और दिव्यांगता प्रमाण-पत्र की जानकारी होगी. इससे यह साफ हो सकेगा कि किस क्षेत्र में फाइलेरिया के कितने मरीज हैं और उन्हें किस प्रकार की सहायता की आवश्यकता है.जिला बन सकता है राज्य में मॉडल: डॉ दिलीप कुमार सिंह
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि यह पहल केवल इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि निगरानी, मूल्यांकन और योजनाओं की प्रभावशीलता को भी मजबूती प्रदान करेगी. उन्होंने कहा कि आइएचआइपी पोर्टल की मदद से अब हम बीमारी से तकनीक के माध्यम से लड़ेंगे. हमारी कोशिश है कि सारण जिला फाइलेरिया उन्मूलन के मामले में राज्य ही नहीं, देश में एक मॉडल बने. यह डिजिटल इंडिया और हेल्थ फॉर ऑल की दिशा में सार्थक कदम है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है