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ऑर्केस्ट्रा की आड़ में चल रहा था जिस्मफरोशी का धंधा, दलदल में फंसी कम उम्र की 17 लड़कियों का रेस्क्यू

Bihar News: सारण जिले में मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर चलाए गए दो दिवसीय रेस्क्यू अभियान में ऑर्केस्ट्रा की आड़ में हो रहे बाल शोषण का पर्दाफाश हुआ है. गरखा, अमनौर और दरियापुर थाना क्षेत्रों से 17 नाबालिग बालिकाओं को मुक्त कराया गया, जिनमें नेपाल, पश्चिम बंगाल, झारखंड और असम की लड़कियां शामिल हैं.

Bihar News: बिहार के सारण जिले में मानवाधिकार आयोग की सक्रियता और स्थानीय प्रशासन की मुस्तैदी से एक बार फिर मानव तस्करी और बाल शोषण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया है. आयोग के सदस्य प्रियांक कांगो के निर्देश पर चलाए गए दो दिवसीय रेस्क्यू अभियान में गरखा, अमनौर और दरियापुर थाना क्षेत्रों से 17 नाबालिग लड़कियों को मुक्त कराया गया.

मुक्त कराई गई बालिकाओं में तीन नेपाल की

इन लड़कियों को ऑर्केस्ट्रा कार्यक्रमों की आड़ में जबरन नचाया जा रहा था और जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा था. मुक्त कराई गई बालिकाओं में नेपाल की 3, पश्चिम बंगाल की 11, झारखंड की 1 और असम की 1 लड़की शामिल है. छापेमारी के दौरान चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि इस अवैध धंधे को संचालक लघु उद्योग के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से चला रहे थे. पुलिस ने मौके से फर्जी पुलिस सत्यापन पत्र भी जब्त किए हैं.

पुलिस ने 17 आरोपियों को किया गिरफ्तार

महिला थाना छपरा में पूरे मामले की प्राथमिकी दर्ज की गई है. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 17 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें गरखा थाना क्षेत्र के खुर्द लौवा निवासी धीरज कुमार राय और सतुआ निवासी बाबूदीन साह जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं.

इस अभियान में पुलिस के साथ-साथ मिशन मुक्ति फाउंडेशन, चाइल्ड लाइन छपरा, रेस्क्यू फाउंडेशन दिल्ली और नारायणी सेवा संस्थान के सदस्य भी सक्रिय रूप से शामिल रहे. यह समन्वित प्रयास बाल तस्करी के खिलाफ एक सशक्त उदाहरण के रूप में सामने आया है.

2025 में सारण से 53 नाबालिगों का रेस्क्यू

सारण जिले में वर्ष 2025 में अब तक ऐसे 10 मामलों में कुल 53 नाबालिग लड़कियों को रेस्क्यू किया गया है, जिससे यह साफ होता है कि यह समस्या कितनी गहरी है. गिरफ्तार आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है, जबकि अन्य फरार आरोपियों की तलाश जारी है.

स्थानीय लोगों से प्रशासन की खास अपील

यह अभियान न सिर्फ पीड़ितों को एक नया जीवन देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति और सामाजिक सहयोग से किस तरह मानवाधिकारों की रक्षा की जा सकती है, इसका उदाहरण भी प्रस्तुत करता है. स्थानीय लोगों से भी अपील की गई है कि वे ऐसे मामलों की सूचना तुरंत प्रशासन को दें, ताकि इस अमानवीय व्यापार को जड़ से खत्म किया जा सके.

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Abhinandan Pandey
Abhinandan Pandey
भोपाल से शुरू हुई पत्रकारिता की यात्रा ने बंसल न्यूज (MP/CG) और दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अनुभव लेते हुए अब प्रभात खबर डिजिटल तक का मुकाम तय किया है. वर्तमान में पटना में कार्यरत हूं और बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को करीब से समझने का प्रयास कर रहा हूं. गौतम बुद्ध, चाणक्य और आर्यभट की धरती से होने का गर्व है. देश-विदेश की घटनाओं, बिहार की राजनीति, और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि रखता हूं. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स के साथ प्रयोग करना पसंद है.

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