सीतामढ़ी. जिले के परसौनी प्रखंड के भुल्ली गांव में समग्र शिक्षण एवं विकास संस्थान द्वारा किसान बैठक किया गया. मौके पर किसानों को जलवायु परिवर्तन व धान कि खेती के दौरान जल प्रबंधन की चुनौतियों से निबटने के लिए फील्ड वाटर ट्यूब के उपयोग एवं उसके लाभों के बारे में जानकारी दी गई. संस्थान के कर्मियों ने बताया कि फील्ड वॉटर ट्यूब अत्यंत सरल व उपयोगी तकनीक है, जिससे किसान धान की खेती के दौरान खेत में मौजूद जल की सटीक गहराई को माप सकते हैं. इसके उपयोग से जल की बर्बादी रोकी जा सकती है. साथ ही फसल की पैदावार में सुधार होता है. बताया कि इस तकनीक से जल संरक्षण के साथ उर्वरक व कीटनाशकों का भी प्रभावी उपयोग सुनिश्चित होता है.
— किसान ने ट्यूब का उपयोगिता साझा किया
किसान संजीव पांडे ने बताया कि उन्होंने पिछले वर्ष धान की खेती के दौरान फील्ड वॉटर ट्यूब का उपयोग किया था. इससे पूर्व के वर्षों में वे खेतों पांच-छह बार सिंचाई करते थे, लेकिन ट्यूब से पानी के स्तर को देख कर उन्हें पता चला कि इतनी बार सिंचाई जरूरी नहीं है. इस तरीके से एक सिंचाई का खर्च बच गया. इससे पानी, मेहनत व आर्थिक बचत हुई. उनकी फसल की उपज पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा. उन्होंने किसानों को इस सरल/प्रभावी ट्यूब का खेती में उपयोग की सलाह दी. संस्थान द्वारा बताया गया कि फील्ड वाटर ट्यूब खेत में जल मापने का आसान व सस्ता तरीका है. इसकी मदद से यह आसानी से जान सकते हैं कि मिट्टी में कितना नमी है और कब सिंचाई करनी है. इसके उपयोग की विधि है. ट्यूब का पाइप छह इंच जमीन में व बाकी हिस्सा ऊपर रहेगी. ट्यूब के अंदर की मिट्टी को अच्छी तरह साफ कर लेना है, ताकि उसके अंदर सिर्फ जल स्तर दिखाई दे. ट्यूब के अंदर जलस्तर दो इंच से कम हो जाए, तभी सिंचाई करनी चाहिए. बताया गया कि ट्यूब बनाने की विधि भी आसान है. जैसे 12 इंच लंबी पीवीसी पाइप ( जिसका व्यास 4 से 6 इंच हो), एक मोमबत्ती व एक कील लें. मोमबत्ती की मदद से कील को गरम करें, फिर पाइप की आधी लंबाई में एक-एक इंच की दूरी पर छेद करें. जब सभी छेद तैयार हो जाएं, तो इसे खेत में लगा दें. मौके पर महंत रवि शंकर दास, हरिशंकर राउत , उदय सिंह, विपीन सिंह व संजय सिंह समेत अन्य मौजूद थे.
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