सीतामढ़ी. सरकारी स्कूलों में एमडीएम में बनाए जा रहे पके-पकाए भोजन की गुणवत्ता की जांच कराई जायेगी. ऐसा निर्णय विभाग द्वारा लिया गया है. जांच के लिए विभाग द्वारा एजेंसी का भी चयन कर लिया गया है. गुणवत्ता में कमी पाए जाने पर भुगतान को रोक देने का सख्त निर्णय लिया गया है. एमडीएम के निदेशक विनायक मिश्र ने इसकी जानकारी एमडीएम के डीपीओ को दी है.
विभाग द्वारा भोजन की गुणवत्ता की जांच का जिम्मा
एवन फूड लैब प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली को दिया गया है. उन्होंने एजेंसी को जानकारी दी है कि एमडीएम के भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जांच आवश्यक है, ताकि इसका शत् प्रतिशत लाभ बच्चों को दिया जा सके. कहा है कि भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय के निदेशानुसार राज्य के एमडीएम भोजन योजना से आच्छादित दो फीसदी स्कूलों का प्रति वर्ष सोशल ऑडिट किया जाता है. इस बीच, यह निर्णय लिया गया है कि एमडीएम से आच्छादित विद्यालयों का लगभग दो फीसदी (100 से 125 स्कूल प्रतिमाह) विद्यालयों में बनाये जा रहे पके-पकाये भोजन का नमूना जांच कराई जाए. वर्तमान में उक्त एजेंसी द्वारा ही पके-पकाये भोजन के नमूना की जांच की जाती है.
— निदेशक का एजेंसी को निर्देश
एमडीएम निदेशक ने एजेंसी को जांच को लेकर कुछ दिशा निर्देश दिए है. कहा है कि दिन के अनुसार निर्धारित मेनू में शामिल सभी आईटम का नमूना लिया लेना है. नमूना संग्रहण की तिथि, विद्यालय का पूर्ण नाम एवं उक्त दिन का मेनू रिपोर्ट में स्पष्ट अंकित करना है. नमूना जांच की रिपोर्ट में भोजन की गुणवत्ता के संबंध में स्पष्ट मंतव्य अंकित करना है. यदि रिपोर्ट अस्पष्ट पाया जाता है तो फलाफल मान्य नहीं होगा एवं इसका भुगतान देय नहीं होगा. नमूना संग्रहण के बाद जांच रिपोर्ट एक सप्ताह के अंदर उपलब्ध कराना है. नमूनों के संख्या के अनुरूप माहवार जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराया जाना है. विद्यालयों से नमूना जांच संग्रहण के लिए आवश्यक मानव बल रखेंगे ताकि ससमय नमूना संग्रहण करते हुए नमूना जांच का प्रतिवेदन उपलब्ध करायेंगे. भोजन का नमूना संग्रहण को दक्ष व्यक्ति को ही चिह्नित विद्यालयों में भेजेंगे. साथ ही नमूना संग्रहण हेतु समुचित विधि का उपयोग करेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है