प्रतिनिधि, सीवान. किसान खरीफ फसल की खेती की तैयारी में जुट गये हैं. धान का बिचड़ा तैयार करने का समय आ गया है. जिले के किसान रोहिणी नक्षत्र में धान की नर्सरी डालते है. जानकारों की मानें तो रोहिणी नक्षत्र का आगमन 25 मई को होगा. अच्छी खेती के लिए रोहिणी नक्षत्र को वरदान माना जाता है. इस नक्षत्र में डाले जाने वाले बीज से धान के पौधे का विकास अधिक होता है, धान की फसल अच्छी हो इसके लिए नर्सरी में पोषक तत्व का प्रबंधन जरुरी है. कृषि विशेषज्ञ मनोरंजन कुमार ने बताया कि धान की नर्सरी में पोषक तत्वों के प्रबंधन से बेहतर उत्पादन मिलेगा. प्रति सौ वर्ग मीटर नर्सरी के लिए दो किलोग्राम डीएपी या तीन किलोग्राम एनपीके उर्वरक व एक किलोग्राम पोटाश देना चाहिए. बिचड़ा जब दस से बारह दिन के हो जाय तो 1.5 किलोग्राम यूरिया व ढाई सौ ग्राम जिंक सल्फेट का प्रयोग करना चाहिए. इससे बिचड़े का विकास अच्छा होता है. यदि बिचड़े में पोषक तत्वों की कमी का लक्षण दिखाई दे तो पचास ग्राम जिंक सल्फेट व दो सौ ग्राम यूरिया को पंद्रह लीटर पानी में घोलकर धान की नर्सरी पर छिड़काव करना चाहिए. बुआई के समय खेत की सतह से पानी निकाल दें और तीन से चार दिनों तक खेत की सतह को पानी से तर रखें. जब अंकुर पांच सेंटीमीटर के हो जाए तो खेत में दो सेंटीमीटर से ज्यादा पानी नहीं भरना चाहिए. अधिक पानी भर जाने से पौधे अधिक लंबे व कमजोर हो जाते है. खरपतवार की रोकथाम के लिए बीज की बुआई से पहले खेत में पाइरोजॉसल्फोरोन नामक खरपतवार नाशी की 80 ग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करना चाहिए, इससे बिचड़े में खरपतवार नहीं उगते हैं. जब बिचड़ा पंद्रह दिन के हो जाए और खरपतवार उग जाए तो बिसपायरी बॅक सोडियम नामक रसायन की 80 एमएल मात्रा प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए.ऐसा करने से धान की अच्छी उपज हासिल की जा सकती है.
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