दरभंगा, सूरज : जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक शख्स खुद को जिन्दा साबित करने के लिए दस्तावेज के साथ दरभंगा व्यवहार न्यालय पहुंच गया. इस बात की जानकारी मिलते ही न्यालय परिसर सहित प्रशासिनक महकमे में हलचल बढ़ गई. जिसके बाद वकील की मदद से शख्स को जज के सामने पेश किया गया. जिसके बाद कोर्ट ने जीवित भोला को उसके माता पिता को सौंपने का आदेश दिया. इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि परिजनों ने मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर मृतक के नाम पर कल्याण विभाग के द्वारा 4 लाख 25 हजार रुपये का निकासी कर ली है.
8 फरवरी को लापता हुआ था भोला
दरअसल, मब्बी थाना क्षेत्र के सिमरा नेहालपुर गांव के भोला कुमार राम 8 फरवरी को लापता हुआ था. 26 फरवरी को बेता थाना क्षेत्र के रेलवे लाइन किनारे एक युवक जख्मी हालत में मिला था. जिसकी 29 फरवरी को मौत हो गई. इसके बाद परिजनों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सड़क जाम कर हंगामा करते हुए शव का अंतिम संस्कार किया. हालांकि इस मामलें में गुरुवार को एक नाटकीय मोड़ तब सामने आया. जब मब्बी थाना कांड संख्या -22/ 25 का सूचक जगदेव राम के पुत्र धीरज कुमार अपने कथित मृतक भाई को साथ लेकर विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी की अदालत में आवेदन समर्पित किया और कोर्ट को बताया कि उसका भाई भोला कुमार राम जिन्दा है. जिसे पुलिस ने मृत घोषित कर दिया था.
जबरन पहचान कराया शव : पीड़ित
धीरज ने कोर्ट को बताया कि 28 फरवरी 2025 को पुलिस ने उसे फोन कर डीएमसीएच बुलाया और चेहरा विकृत अज्ञात शव को मुझसे जबरन पहचान कराकर 1 मार्च 25 को शव सुपूर्द कर दिया. उक्त शव की आयु 20-25 वर्ष थी. जबकि सूचक के भाई की उम्र 16-17 वर्ष है. सूचक ने अपने आवेदन में अंकित किया है कि उसके मोबाईल पर ह्वाट्सएप कॉल आया कि तुम्हारा भाई नेपाल में है. इसके बाद वह जब नेपाल के इण्डस्ट्रीज मिर्चाईया कटारी चौक गया तो उसे भाई भोला जीवित मिला और बताया कि 2-3 अज्ञात लोगों ने उसका अपहरण कर लिया तथा उसे एक कमरे में बंद कर रखा था.
कोर्ट ने दिया आदेश
वहीं, स्पेशल जज शैलेंद्र कुमार ने 183 बीएन एस एस के तहत बयान दर्ज करने के लिए सीजेएम को निर्देशित किया. जहां उसका बयान दर्ज किया गया. कुमार की अदालत ने जिवित भोला को उचित पहचान पर उसके माता पिता को सौंप देने का आदेश दिया. अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर अल्ललपट्टी रेलवे गुमटी के निकट मिले अज्ञात जख्मी, जिसकी मौत इलाज के दौरान अस्पताल में हो गई, तथा उसका दाह संस्कार भी कर दिया गया, वह कौन था? यह यक्ष प्रश्न बन गया है. जिसकी गुत्थी सुलझाना पुलिस के लिए भी आसान नहीं है.
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केस में पुलिस ने निर्दोष को भेजा जेल
वहीं भोला कुमार राम की हत्या के अभियोग में काराधीन राहूल कुमार की न्यायिक अभिरक्षा में कैद अवधि के ऐवज में कैसे न्याय मिलेगी. चूंकि कथित मृतक को जीवित रुप में प्राथमिकी के सुचक ने कोर्ट में प्रस्तुत कर हत्या की इस कहानी को स्वंय झुठला दिया है. इसके अतिरिक्त राज्य कोष से कथित मृतक की हत्या के ऐवज में मिले 4 लाख 25 हजार रुपये का क्या होगा? इस वारदात ने पुरे तंत्र को सकते में डाल दिया है.