अब इन सरकारी भवनों के टूटने के बाद माइंस विस्तार में गति आने की संभावना बढ़ गयी है. परियोजना पदाधिकारी एनके सिंह, मैनेजर आनंद शंकर, सुरक्षा अधिकारी वीके पंडित, शिफ्टिंग इंचार्ज कौशल किशोर सिंह की देखरेख में भवन को ध्वस्त किया गया. इन भवनों के ध्वस्त होने से अब माइंस विस्तार को गति मिलेगी परंतु प्रबंधन के सामने अब शिफ्टिंग प्रक्रिया में और भी तेजी लाने की चुनौती होगी. माइंस पंचायत सचिवालय के एकदम करीब पहुंच गई थी. प्रबंधकीय सूत्रों का कहना है कि सिर्फ चार नंबर शिफ्टिंग एरिया में 264 घरों को शिफ्ट करना है जिनमें 70 सीसीएल कर्मी के भी आवास हैं. यहां से दिहाड़ी मजदूरों को भी हटाने की प्रक्रिया चल रही है वहीं सीसीएल कर्मियों को भी आवास मुहैया कराई जा रहे हैं. कुछ आवासों को शिफ्ट कराया भी गया है. इधर यहां रहने वाले दिहाड़ी मजदूर लगातार प्रबंधन से सारी सुविधाओं के साथ शिफ्ट करने व आवास मुहैया कराने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकारी भवनों को तोड़ने के लिए सीसीएल प्रबंधन द्वारा झारखंड सरकार की ट्रेजरी में लगभग 1 करोड़ 44 लख रुपए जमा किये गये हैं. इस तरह यहां बरसों से रहने वाले गरीबों के लिए भी सीसीएल प्रबंधन व सरकार डीएमएफटी फंड से आवास दे. इस बाबत स्थानीय मुखिया पुष्पा देवी ने भी उपायुक्त से मिलकर यहां रहने वाले दिहाड़ी मजदूरों के लिए आवास की सुविधा देने का आग्रह किया है. मालूम हो कि चार नंबर क्षेत्र से लगभग 500 दिहाड़ी मजदूरों को पुराना एक्सवेशन के समीप शिफ्टिंग एरिया में बसाया गया है. सरकारी भवनों के शिफ्ट होने के बाद अगर वहां स्थित 264 आवासों को जल्द शिफ्ट कराया गया तो 5- 6 वर्षों तक माइंस चलना संभव हो पायेगा. परियोजना पदाधिकारी एनके सिंह ने कहा कि पंचायत सचिवालय एवं सरकारी भवनों को टूटने के बाद उत्पादन का ग्राफ बढ़ने की संभावना प्रबल हो गई है. इधर यहां रहने वाले अन्य लोगों के लिए भी शिफ्टिंग की प्रक्रिया तेजी से चल रही है उम्मीद है कि आने वाले वित्तीय वर्ष में परियोजना अपना लक्ष्य जरूर पूरा करेंगी.
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