Bharat Bandh 2025: बोकारो-श्रम कानून में बदलाव समेत केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर संयुक्त मोर्चा की ओर से आहूत एक दिवसीय हड़ताल का बोकारो में मिलाजुला असर देखने को मिला. बैंक व बीमा सेक्टर में हड़ताल का खासा असर देखा गया. वहीं बोकारो इस्पात संयंत्र में हड़ताल बेअसर रहा. सभी शिफ्ट में मजदूर व ठेका मजदूर आम दिनों की तरह काम करने पहुंचे. हालांकि, मजदूर यूनियन की ओर से हड़ताल को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी. हड़ताल को सफल बनाने के लिए मजदूर यूनियन की विभिन्न इकाई मजूदरों की इंट्री प्वाइंट पर जमे रहें. अहले सुबह से हड़ताल समर्थक शहर में मोर्चाबंदी करने में लगे थे. नया मोड़ समेत शहर में मुख्य चौक-चौराहों पर हड़ताल समर्थक देखे गये. बैनर-पोस्टर के जरिये सरकार की नीतियों का विरोध करते दिखे. बैंक संबंधित यूनियन शहर के विभिन्न शाखा पहुंचकर बैंक बंद करवाते दिखे. बीमा संबंधित यूनियन ने हड़ताल को सफल बनाने में पुरा योगदान दिया.
बैंकों में लटके रहे ताले
सेंट्रल ट्रेड यूनियन संगठन के आह्वान पर हो रहे हड़ताल में बैंक व बीमा कर्मियों के संगठनों एआइबीइए, बीइएफआइ, एआइआइइए, जीआइइएआईए, एआइएलआइसीइएफ ने नैतिक समर्थन दिया. बैंक व बीमा में कामकाज पूरी तरह से बंद रहा. बैंक व बीमा सेक्टर में ताले लटके रहे. कर्मचारियों ने शाखाओं के सामने खड़े होकर नारेबाजी की. सरकार से मांग की की श्रम सुधार कानून व बैंकिंग सुधार कानून को वापस लिया जाये. वक्ताओं ने कहा कि बैंकों का निजीकरण करने का प्रयास अविलंब बंद किया जाए, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को और सुदृढ़ किया जाये. कॉरपोरेट घराने द्वारा ऋण लेकर बैंकों का पैसा नहीं चुकाने से हो रही आमजन के जमा पूंजी की लूट पर रोक लगाने के लिए कड़े कानून का प्रावधान किया जाए. जानबूझकर बैंकों का ऋण नहीं चुकाने वालों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज हो. बैंकों के दैनंदिन कार्यों में आउटसोर्सिंग बंद की जाये.
सार्वजनिक क्षेत्र के बीमा उद्योग पर हमले जारी
एलआइसी में 6.5 प्रतिशत सरकार की हिस्सेदारी बेचने के विरोध समेत सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण समेत अन्य मांग को लेकर बीमा सेक्टर में हड़ताल किया गया. अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ के बैनर तले हड़ताल किया गया. संयुक्त सचिव दिलीप कुमार झा ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बीमा उद्योग पर हमले जारी है. सरकार आगामी माॅनसून सत्र में बीमा कानून संशोधन विधेयक पेश करने पर आमदा है. इसमें तीन कानून बीमा अधिनियम 1938 ,जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 व बीमा विनियम विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 में संशोधन लाने का प्रस्ताव है. मौके पर सहायक सचिव राकेश चंद्र शर्मा, अजय कुमार, विनोद कुमार दास, निताई बनर्जी, राजेश कुमार सिंह, तरूण कुमार, राजेश कुमार चौधरी, महावीर, रीतु कुमारी, विचित्रा, शांता सिंह, संजय कुमार, उज्जवल कुमार, गोविंद मांझी, लालजी दूबे, मोहन कुमार,इंदू भूषण व अन्य मौजूद थे.
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बैंकों के निजीकरण का हो रहा प्रयास
वक्ताओं ने कहा कि नयी पेंशन स्कीम को समाप्त करते हुए सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम बहाल हो. सेवा शुल्क को समाप्त किया जाये. ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन के सदस्य व पदाधिकारियों ने कहा कि तथाकथित बैंकिंग सुधार के नाम पर जनता की जमा पूंजी से खिलवाड़ करने की साजिश करते हुए बैंकों के निजीकरण का प्रयास किया जा रहा है, वहीं एक तरफ निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए बैंकों का विलय किया गया है. मौके पर राजेश कुमार ओझा, राजेश श्रीवास्तव, अरुण कुमार, विभाष झा, राकेश मिश्रा, प्रदीप झा, नीरज कुमार तिवारी, पंकज कुमार सिंह, रजनीश कुमार तिवारी, प्रशांत कुमार, पीके श्रीवास्तव, सुजाता कुमारी, ममता रावत व अन्य मौजूद थे.
जिनको काम करना है उसे तो जाने दीजिये…
हड़ताल को सफल बनाने को लेकर समर्थक बैंक के पास एकत्रित थे. सेक्टर चार स्थित बैंक ऑफ इंडिया परिसर के पास जोरदार नारेबाजी हो रही थी. इसी बीच जोनल मैनेजर अश्विनी मित्तल भी वहां पहुंचे. ग्राहक सेवा बाधित होने की बात कह हड़ताल खत्म करने की मांग की. उन्होंने कहा कि जिसे हड़ताल करना है करे, लेकिन जिसे काम करना है उसे काम में जाने दिया जाये. बंद समर्थकों ने इसका विरोध किया. बैंक में जड़ा ताला को खोलने से इंकार किया. इसके बाद जोनल मैनेजर से पुलिस व मजिस्ट्रेट को बुलाया. पुलिस ने हड़ताल समर्थकों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन कोशिश बेकार ही हुई.
डिजिटल युग में एक दिवसीय हड़ताल का नहीं होता असर
जोनल मैनेजर अश्विनी कुमार मित्तल ने बताया कि हड़ताल के कारण लोगों को एकदिनी परेशानी हुई है, लेकिन ट्रांजेक्शन को लेकर कम परेशानी हुई होगी. डिजिटल युग में बैंकिंग संबंधित बहुत काम यूपीआइ के जरिये हो जाती है. पेपर वर्क प्रभावित हुआ है, जिसे अगले दिन पुरा कर लिया जायेगा.
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