धर्मनाथ कुमार, बोकारो, बोकारो के सेक्टर तीन निवासी उदित श्रीवास्तव लद्दाख, लेह और मनाली की यात्रा बाइक से पूरी कर बोकारो लौट आये हैं. उन्होंने केवल 12 दिनों में लगभग 5800 किलोमीटर की दूरी तय की. यह सफर ना सिर्फ दूरी में चुनौतीपूर्ण थी, बल्कि ऊंचाई और मौसम की दृष्टि से भी जोखिम भरी थी. यात्रा कर बोकारो पहुंचने के बाद मंगलवार को प्रभात खबर से उन्होंने विशेष बातचीत की. इसमें उन्होंने कई बातें साझा कीं. उन्होंने कहा कि उन्हें बुलेट राइडिंग का शौक है और यही शौक उन्हें इस ऊंचाई तक ले गया.
बाइक से नेपाल की कर चुके हैं यात्रा
उदित ने बताया कि इससे पहले नेपाल की बाइक यात्रा कर चुके हैं, लेकिन यह अब तक की उनकी सबसे लंबी और कठिन यात्रा थी. इस यात्रा में उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया, जैसे कि ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, खराब सड़कें, और कम ऑक्सीजन का स्तर. लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने लद्दाख व अन्य स्थानों की सुंदरता और रोमांच का भरपूर आनंद लिया. उन्होंने दुनिया के सबसे ऊंचे मोटरेबल पास माने जाने वाले उमलिंग ला पास (19,024 फीट), उसके बाद खरढुंगला पास (17,982 फीट) और बरालाचा ला पास (16,040 फीट) को सफलतापूर्वक पार किया.
रूट मैप तैयार कर किया यात्रा पूरी
उदित ने बताया कि यात्रा के दौरान सड़क पर ड्राइव करना कहीं आसान, तो कहीं बेहद खतरनाक रहा. ऐसा लगता है जैसे कि लोग सड़क पर अपनी यात्रा को सुखद तरीके से पूरा करने नहीं, बल्कि एक-दूसरे को डराने निकले हैं. लोग आमतौर पर यातायात नियमों का पालन करना नहीं चाहते. इस कारण हादसों का खतरा बना रहता है. उन्हें ऐसी स्थिति का कई जगह सामना करना पड़ा. कहा कि इस पूरी यात्रा के लिए अपना रूट मैप तैयार किया था. प्रतिदिन सुबह बाइक से यात्रा पर निकलते हैं और करीब पांच से छह घंटे की ड्राइविंग के बाद शाम होने से पहले अगले पड़ाव पर किसी होटल या कहीं कोई असरा मिलता, तो रुकते थे.सिर्फ घूमना लक्ष्य नहीं है, हर जगह की संस्कृति, खान -पान से रिश्ता है बनाना
उदित ने कहा कि सिर्फ घूमना लक्ष्य नहीं है, हर जगह की संस्कृति, खान -पान से रिश्ता बनाना है. शहर सिर्फ छू कर चले गये, तो क्या घूमे. शहर का दिल जब तक ना समझा तो समझो, यात्रा अधूरी रह रही है. उदित वर्तमान में बोकारो जनरल अस्पताल में एडमिनिस्ट्रेटिव एसोसिएट के पद पर कार्यरत हैं. अपने व्यस्त पेशेवर जीवन के बीच भी उन्होंने अपने जुनून को जीवित रखा. उनका यह प्रयास युवाओं को साहस, आत्मविश्वास और लक्ष्य के प्रति समर्पण की प्रेरणा देता है.बाइक की यात्रा में हेलमेट जरूर पहनें
इस यात्रा से पहले किसी ने रोका नहीं. इसके जवाब में वह कहते हैं, घर में पिता बिपिन बेहरी श्रीवास्तव और मां सुनीता श्रीवास्तव हैं. भी मेरे शौक को समझते हैं. मां ने भी अनुमति दी और हिदायत भी, कहा कि सुरक्षित रहना. अच्छे से बाइक चलाना. मैंने निकलने से पहले पूरी तैयारी की, जो लंबी राइड से पहले करनी जरुरी है. सड़क पर ज्यादातर मौतें हेलमेट नहीं पहनने की वजह से होती हैं. आजकल के युवाओं को इसका खास ध्यान रखना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है