रंजीत कुमार, बोकारो, दिशोम गुरु शिबू सोरेन उर्फ गुरुजी और चीरा चास का फार्म हाउस, ये दोनों स्थान बोकारो के हर किसी के जुबान पर हमेशा रहता है. जब भी वह बोकारो आते थे सेक्टर वन स्थित आवास में कुछ देर के लिए जरूर रुकते थे. इसके बाद वह चीरा चास स्थित फार्म हाउस जाते थे. उनके बोकारो आते ही चीरा चास का फार्म हाउस गुलजार हो उठता था. कोई अपनी समस्या सुनाने आता, तो कोई केवल दर्शन करने. इसमें स्थानीय ही नहीं दूसरे जिलों के लोग भी शामिल होते थे.
खेती-बागवानी के शौकीन थे गुरुजी
गुरुजी जब भी फार्म हाउस पर आते थे, लोगों को बागवानी व खेती के बारे में बताते थे. उन्होंने फार्म हाउस में दर्जनों तरह के फूल व फल के पौधे खुद लगाये थे. यही नहीं सेक्टर वन स्थित आवास में सभी को खेती करने का तरीका भी बताया करते थे. फार्म हाउस में सुकर, बकरी, गाय सहित कई तरह के पशु के साथ-साथ पक्षी भी पाल रखे थे. कभी-कभी फार्म हाउस में ट्रैक्टर चला कर खेती भी करते थे. साथ ही लोगों को खेती के लिए प्रेरित करते थे.
हर किसी की समस्या का होता था त्वरित समाधान
बोकारो में गुरुजी ना केवल लोगों की समस्या सुनते, बल्कि तुरंत निदान करने का आदेश भी संबंधित पदाधिकारी को फोन पर देते थे. उनसे कोई भी आसानी से मिल लेता. सुरक्षा में तैनात अधिकारी व जवान को स्पष्ट आदेश होता था कि किसी को मुलाकात करने से किसी भी स्थिति में नहीं रोका जाये.
पुरानी बातों को याद करके गुरुजी हो जाते थे भावुक
गुरुजी के पुराने साथी धनबाद के पूर्व सांसद एके राय का 21 जुलाई 2019 को निधन हो गया था. प्रभात खबर के साथी जब चीरा चास स्थित फार्म हाउस पर पहुंचे और गुरुजी को बताया, तो वह पांच मिनट तक कुछ बोले ही नहीं. इसके बाद एक ही शब्द पूछा कि कब हुआ. यह बताने पर कि कुछ घंटा पहले ही निधन हो गया. गुरुजी की आंखों में आंसू दिखाई दी थी. पुरानी बातों को याद करते हुए कहा था : मेरा पुराना साथी था. सच्चा यार था. कभी समझौता नहीं किया. जनता के लिए जिया और जनमानस के लिए ही चला गया. उसके जाने से मेरी व्यक्तिगत क्षति हो गयी. इतना कहने के साथ गुरुजी भावुक मन से अपने कमरे में चले गये थे.बोकारो में आज भी हैं कई खास मित्र
गुरुजी का बोकारो से खास लगाव रहा है. यही कारण है कि यहां उनके कई खास मित्र बने. कुछ जीवित हैं, तो कुछ का देहांत हो गया है. झामुमो के पूर्व कोषाध्यक्ष चास निवासी प्रयाग केजरीवाल व सिटी सेंटर सेक्टर चार निवासी आरपी चौधरी आज भी उनको याद करते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है