बोकारो, पूर्व सीएम शिबू सोरेन के निधन की सूचना मिलते ही सोमवार को बोकारो में गुरुजी के सेक्टर वन सी आवास संख्या 14 व चीरा चास स्थित फार्म हाउस में सन्नाटा पसर गया. सेक्टर वन में आवास के बाहर बैठका भी वीरान था.
माता-पिता से बढ़ कर स्नेह दिया
सेक्टर वन स्थित आवास में आशा सोरेन मिलीं. आशा ने ‘प्रभात खबर’ को बताया कि दिशोम गुरु मेरे पिता के समान थे. उनकी यादें सुनाते फफक-फफक कर रो पड़ीं. कहा कि गांव से छह वर्ष की आयु में बोकारो पढ़ाने के लिए लेकर आये. पिता का स्नेह व प्यार दिया. माता-पिता से बढ़कर स्नेह दिया. छोटी बेटी कहकर ही बुलाते थे. उन्होंने मुझसे कहा था कि खूब पढ़ो और आगे बढ़ो. पढ़ाई ही तुम्हारी जिंदगी को संवारेगा. साथ ही डायरी लिखने के लिए प्रेरित किये. डायरी की नियमित जांच भी करते थे. जब भी समय मिलता. समाज की सेवा के बारे में बताते थे.आज झारखंड सचमुच अनाथ हो गया : मंजूर अंसारी
इधर, झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष मंजूर अंसारी ने कहा कि आज झारखंड सचमुच अनाथ हो गया. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन से राज्य की हवाएं और जंगल मानो शांत हो गये हैं. स्व शिबू सोरेन आदिवासी अस्मिता और झारखंड आंदोलन के प्रणेता थे. उन्होंने अपने जीवनकाल में सामाजिक न्याय और जनजातीय अधिकारों के लिए अथक संघर्ष किया. उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व ने झारखंड को एक नयी पहचान दी. उनका निधन ना केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है. हम उनके आदर्शों और योगदान को सदा याद रखेंगे. दिशोम गुरु को खिराजे-अकीदत पेश करते हुए हम दुआ करते हैं कि खुदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके पूरे परिवार को इस दुःख की घड़ी में सब्र और शक्ति प्रदान करे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है