कसमार, कसमार प्रखंड में धान की रोपाई (धनरोपनी) का कार्य जोरों पर है. ग्रामीण और कृषि बहुल इस क्षेत्र में कुड़मी समेत अन्य समुदायों के कृषक अपने पारंपरिक नेग-नियमों और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ खेतों में उतर चुके हैं. लगातार एक महीने से हो रही बारिश के कारण बिचड़ों के खराब होने की आशंका ने किसानों की चिंता बढ़ा दी थी, लेकिन अब मौसम साफ होते ही खेतों में रौनक लौट आयी है. बगदा गांव के जानकी महतो, चांदमुख महतो, प्रकाश महतो, सुकदेव राम, रुपेश महतो, नवीन महतो और प्रिंस महतो जैसे स्थानीय कृषकों ने बताया कि बारिश थमने से किसानों को राहत मिली है. जिन किसानों के बिचड़े तैयार थे, उन्होंने रोपाई का काम शुरू कर दिया है. खेतों में गूंजती गीतों की धुन और रोपाई की लयबद्ध गति से गांव का माहौल एक बार फिर जीवंत हो उठा है. कुड़मी कृषकों ने इस मौके पर अच्छी फसल की कामना के लिए खेतों में पारंपरिक पूजा-अर्चना की. ग्रामीण मान्यता है कि इस पूजा के बिना रोपनी का कार्य शुभ नहीं माना जाता. पूजा के दौरान अन्नपूर्णा और धरती मां से भरपूर उपज की प्रार्थना की गयी. कृषकों का कहना है कि यदि मौसम ने साथ दिया तो इस वर्ष अच्छी पैदावार की उम्मीद है. खेतों में किसानों की उमंग और मेहनत इस आशा को और मजबूत कर रही है.
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