बोकारो, अंतत: भक्तों का इंतजार गुरुवार को खत्म हुआ. 15 दिनों के लंबे इंतजार के बाद महाप्रभु जगन्नाथ के पट खुल गये. जगन्नाथ मंदिर-सेक्टर चार में नेत्रोत्सव मनाया गया. भगवान के नवयौवन दर्शन के लिये श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ उमड़ी. महाप्रभु जगन्नाथ, स्वामी बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ चतुर्थ विग्रहों का दर्शन हुआ. भगवान ने नवयौवन रूप में अपने भक्तों को दर्शन दिया. अब 27 जून को तीनों भगवान जगन्नाथ मंदिर-सेक्टर चार से रथारूढ़ होकर मौसीबाड़ी श्रीराम मंदिर-सेक्टर 01 जायेंगे. इसी परंपरा को रथयात्रा या गुंडिचा यात्रा के नाम से जाना जाता है. बोकारो में 25वीं रथयात्रा निकलेगी. इसके लिए भगवान का रथ सज-धज कर तैयार है. अब रथ की तैयारी को अंतिम रूप दिया जाता है.
स्नान के बाद बीमार पड़ गये थे जगन्नाथ, 15 दिनों के लिए बंद थे मंदिर के कपाट
भगवान श्री जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा जी स्नान पूर्णिमा के बाद बीमार पड़ गये. जिसके बाद से मंदिर के पट 15 दिनों के लिए बंद कर दिये गये थे. यह विशेष काल अनवसर या अनसर काल कहलाता है. स्नान पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ को 108 पवित्र जलघटों से स्नान कराया गया था, जिसके बाद ठंड लगने के कारण वे ज्वर (बुखार) से पीड़ित हो गये थे. इसके बाद ही विश्राम के लिए वे अपने निज मंदिर में थे. इस अवधि में भक्त भगवान के दर्शन से वंचित हो गये थे. ज्वर से पीड़ित होने के बाद भगवान का उपचार चला. इस काल में केवल दैतापति सेवक ही भगवान की सेवा कर सकते हैं. 56 भोग पाने वाले महाप्रभु उपचार काल में केवल आयुर्वेदिक औषधियां, विशेष काढ़ा (दशमूल), पंचगव्य ग्रहण करते हैं.साल में एक बार अपना रत्न सिंहासन छोड़कर श्रीमंदिर से बाहर निकलते हैं महाप्रभु
रथयात्रा वो अवसर होता है, जब भगवान साल में एक बार अपना रत्न सिंहासन छोड़कर श्रीमंदिर से बाहर निकलते हैं और अपना प्रजा का हाल जानते हैं. ये वो क्षण होता है जब भक्त भगवान के नहीं, भगवान भक्तों के दर्शन के लिए निकलते हैं. ये बहुत ही सुंदर भाव है, जो भक्त और भगवान के बीच के प्रेम को दर्शाता है. इतना ही नहीं, अन्य मंदिरों में ऐसे अवसरों पर उत्सव प्रतिमा (चल विग्रह) को निकाला जाता है. लेकिन रथयात्रा में महाप्रभु जगन्नाथ समेत चतुर्थ विग्रह (श्री जगन्नाथ, स्वामी बलभद्र, देवी सुभद्रा, सुदर्शन) के अचल विग्रहों को मंदिर के बाहर लाया जाता है. रथ खींचने की शुरुआत छेरा पंहरा के बाद होती है. परंपरा अनुसार बीएसएल के निदेशक प्रभारी बीके तिवारी प्रथम सेवक के रूप में छेरा पंहरा की रस्म करेंगें.पांच जुलाई को मौसीबाड़ी श्रीराम मंदिर से जगन्नाथ मंदिर वापस लौटेंगे महाप्रभु
रथयात्रा के दौरान कई अन्य रस्में होती हैं. जिसमें एक जुलाई को हेरा पंचमी की रस्म की जायेगी. पांच जुलाई को तीनों भगवान श्रीराम मंदिर से वापस जगन्नाथ मंदिर लौटेंगे. जिसे बाहुड़ा यात्रा कहा जाता है. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष यातायात एवं विधि-व्यवस्था के निर्देश जारी किये हैं. 27 जून को दोपहर दो बजे सेक्टर चार जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा शुरू होकर आंबेडकर चौक, बीजीएच, गांधी चौक, पत्थरकट्टा चौक होते हुए सेक्टर-1 स्थित राम मंदिर तक पहुंचेगी. पांच जुलाई को दोपहर 01:30 बजे श्रीराम मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पुनः निकलेगी और सेक्टर चार स्थित जगन्नाथ मंदिर तक जायेगी. रथयात्रा को लेकर बोकारो के श्रद्धालु उत्साहित नजर आ रहे हैं.रथयात्रा के कारण आज शहर की ये सड़कें होंगी प्रभावित
27 जून व पांच जुलाई को दोपहर एक बजे से शाम सात बजे तक निम्नलिखित मार्गों पर वाहनों के परिचालन पर प्रतिबंध लागू रहेगा. बीजीएच चौक से आंबेडकर चौक की ओर जाने वाले सभी प्रकार के वाहनों का परिचालन वर्जित रहेगा. बीजीएच चौक से गांधी चौक तक रोड के बायें तरफ सभी प्रकार के वाहनों का परिचालन वर्जित रहेगा. सभी प्रकार के वाहनों का परिचालन रोड के दायें ओर से रहेगा. गांधी चौक से पत्थरकट्टा चौक तक रोड के बायें तरफ सभी प्रकार के वाहनों का परिचालन वर्जित रहेगा. सभी प्रकार के वाहनों का परिचालन रोड के दायें और से रहेगा. पत्थरकट्टा चौक से राम मंदिर चौक तक रोड के बायें तरफ सभी प्रकार के वाहनों का परिचालन वर्जित रहेगा. वाहनों का परिचालन दायें ओर से रहेगा.
बोकारो के रथयात्रा का रूट चार्ट
जगन्नाथ मंदिर, आंबेडकर चौक, बीजीएच, गांधी चौक, सिटी सेंटर, पत्थरकट्टा चौक, श्रीराम मंदिर चौक व श्रीराम मंदिर .
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