Bokaro News : जनवादी लेखक संघ झारखंड का दो दिवसीय सम्मेलन शनिवार को डॉ नर नारायण तिवारी नगर (अल हबीब ऑडिटोरियम) सेक्टर 6 के प्राणेश कुमार मंच से शुरू हुआ. प्रथम सत्र में विश्व-शांति व समाजवाद संघर्ष के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गयी. इसके बाद डॉ अली इमाम खान, डॉ मृणाल, गोपाल प्रसाद व प्रह्लाद चंद्र दास की अध्यक्षता में प्रख्यात आलोचक डॉ बजरंग बिहारी तिवारी ने उद्घाटन किया. डॉ बजरंग ने कहा : वर्तमान में फासीवादी ताकतें देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सुनियोजित हमले कर रही हैं. सरकार के मनुवादी सोच के सैकड़ों उदाहरण हैं. ऐसे में जनवादी लेखकों का दायित्व बढ़ गया है. प्रतिक्रियावादी सरकार के खिलाफ संघर्ष करने का सबसे उचित समय आ गया है. मुख्य अतिथि सेंट्रल विवि गया के व्याख्याता डॉ कर्मानंद आर्य ने कहा : आंबेडकरवादी हों या जनवादी. सभी साहित्यकारों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एक होकर पूंजीवादी व संप्रदायवादी ताकतों के खिलाफ संघर्ष तेज करना होगा.सत्र में छह किताबों का विमोचन किया गया. इसमें जलेस झारखंड की स्मारिका, रेखांकन पत्रिका, डॉ मृणाल की प्रेमचंद हमारे हमसफ़र, शिव कुमार पंडित के उपन्यास – तड़प एक लड़की की, प्राणेश कुमार संपादित खामोशी की आवाज (कहानी संग्रह) व प्राणेश कुमार के पीर और गहरी हो गई (गीत-गजल संग्रह) शामिल है. द्वितीय सत्र डॉ खान, श्री दास व डॉ मृणाल की अध्यक्षता में हुई. कथाकार अशोक कुमार ने आलेख पढ़ा. गोपाल प्रसाद, ओमराज, डॉ किरण, शैलेंद्र अस्थाना, डॉ सुजाता कुमारी, डॉ मृणाल, डॉ जमशेद कमर, परवेज शीतल, डॉ बजरंग बिहारी तिवारी ने विस्तार से प्रकाश डाला. संचालन अशोक कुमार व कुमार सत्येंद्र ने संयुक्त रूप से किया. साहित्यकार डॉ मृणाल को रमणिका गुप्ता साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया.
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