चंद्रपुरा, सीटीपीएस में यूनाइटेड कोल वर्कर्स यूनियन का गेट जाम आंदोलन 41 घंटे बाद रविवार को समाप्त हुआ. डीवीसी निदेशक भवन में दिन साढ़े दस बजे से शाम पांच बजे तक प्रबंधन और यूनियन की वार्ता चली. एसडीओ मुकेश मछुआ भी उपस्थित थे. इस क्रम में कई बार वार्ता विफल रही. यूनियन का कहना था कि प्रबंधन एएमसी व एआरसी मजदूरों को सप्लाई मजदूरों की तरह समान काम का समान वेतन देने और सुचीबद्ध करने पर सहमति दे. मगर प्रबंधन ने कहा कि यह मामला डीसीएलसी स्तर का है, इसलिए धनबाद कार्यालय में इस पर वार्ता की जाये. डीसीएलसी ने इसके लिए चार अगस्त का समय दिया है. काफी मान मनौव्वल के बाद यूनियन इस पर राजी हुई. हालांकि प्लांट की कई अन्य छोटे मामलों पर प्रबंधन ने सहमति जतायी. वार्ता के बाद प्रशासन, डीवीसी व यूनियन के अधिकारी प्लांट गेट पर जाम हटाने आये तो आंदोलन कर रहे मजदूरों ने इस समझौते का विरोध कर दिया. कहा कि यूनियन की एक भी मांगें नहीं मानी गयी, जबकि जो मांग यूनियन की नहीं थी, उसे मान लिया गया. कुछ देर के लिए मजदूरों ने हंगामा किया. कई नेताओं की फजीहत भी हुई. बाद में प्रशासनिक अधिकारियों के कहने पर यूनियन गेट जाम हटाने को राजी हुई, मगर कहा कि एएमसी व एआरसी मजदूर धरना पर तब तक बैठेंगे, जब तक मांगों को पूरा नहीं किया जायेगा. वार्ता में परियोजना प्रधान वीएन शर्मा, वरीय महाप्रबंधक (एचआर) डॉ डीसी पांडेय, अभिमन्यू सिंह, आरके चौधरी, अवधेश शेखावत, बीडीओ ईश्वर दयाल महतो, सीओ नरेश कुमार वर्मा, चंद्रपुरा थाना प्रभारी अजय कुमार सिंह, दुगदा थाना प्रभारी मनीश सिंह, श्रीनिवास सिंह, यूनियन के प्रदीप महतो, सीपी सिंह, आनंद कुमार, सागर, मो सरफराज, कृष्णा पांडेय, गुलाब मरांडी, रमेश कुमार, अमित सिंह आदि थे.
लगातार काम करने से कई मजदूरों की तबीयत हुई खराब
गुरुवार की रात प्लांट में गये डीवीसी के अभियंता, अधिकारी, कर्मी, सप्लाई, एएमसी एआरसी मजदूर गेट जाम के कारण लगातार काम करते रहे और इसके कारण कई की तबीयत खराब हो गयी. कई मजदूरों को एंबुलेंस से बाहर निकाला गया. दूसरी ओर प्लांट की यूनिट नंबर आठ का लोड कम कर दिया गया. डीवीसी के लिए परेशानी इस बात की थी कि यदि गेट जाम रविवार को नहीं हटा तो स्वीच यार्ड सहित अन्य प्रणालियों को बंद करना पड़ेगा और इससे हर जगह की बिजली आपूर्ति बंद हो जाती. पूरे झारखंड व रेलवे में इसका असर पड़ता. इधर, शाम में डीवीसी कर्मियों प्लांट में जाने के बाद यूनिट का लोड बढ़ा कर 180 मेगावाट कर दिया गया है.
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