फुसरो. राकोमयू (इंटक) की ओर से शनिवार को प्रेस वार्ता कर कहा गया कि सीसीएल मुख्यालय प्रबंधन द्वारा बीएंडके क्षेत्र के रीजनल अस्पताल करगली की आकस्मिक सेवा केंद्रीय अस्पताल ढोरी में शिफ्ट करने का फैसले को वापस लेने की सहमति जतायी है. यह कोयला मजदूरों की एकता और यूनियन के संघर्ष के कारण हुआ है. जवाहर नगर स्थित रीजनल अध्यक्ष श्यामल सरकार के आवासीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में रीजनल अध्यक्ष श्यामल कुमार सरकार ने कहा कि मामले को लेकर 15 अप्रैल को यूनियन द्वारा अस्पताल के समक्ष प्रदर्शन करते हुए प्रबंधन को ज्ञापन सौंपा गया था. साथ ही चेतावनी दी गयी थी कि अगर 30 अप्रैल तक प्रबंधन ने निर्णय वापस नहीं लिया तो दो मई से बीएंडके, ढोरी व कथारा एरिया में चक्का जाम आंदोलन किया जायेगा. साथ ही इस पूरे मामले की जानकारी यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष बेरमो विधायक कुमार जयमंगल को दी गयी थी. प्रबंधन द्वारा 16 अप्रैल को बैठक कर उक्त निर्णय को वापस लेने की सहमति जतायी है. यदि 30 अप्रैल तक प्रबंधन ने जारी पत्र वापस नहीं लिया तो दो मई से चक्काजाम आंदोलन होगा.
चार चिकित्सकों की नियुक्ति पर भी हुई बात
कहा कि जल्द ही क्षेत्रीय अस्पताल में चार चिकित्सकों की नियुक्ति कराये जाने की भी बात हुई है. इसमें तीन चिकित्सक करगली क्षेत्रीय अस्पताल में सेवा देंगे और एक चिकित्सक जवाहर नगर डिस्पेंसरी में सेवा देंगे. अस्पतालों में दवाइयां की कमी दूर करने की मांग की गयी है. बीएंडके क्षेत्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि करगली क्षेत्रीय अस्पताल में इमरजेंसी सेवा बंद होने से बीएंडके क्षेत्र के लगभग 2.5 हजार कामगारों सहित विस्थापितों व अन्य लोगों को परेशानी होगी. पूर्व में भी प्रबंधन द्वारा ऐसा निर्णय लिया गया था. उस समय भी यूनियन ने विरोध किया था और प्रबंधन ने निर्णय वापस लिया था. मौके पर एकेके ओसीपी अध्यक्ष सुकुमारन, सचिव जयनाथ तांती, कारो ओसीपी सचिव प्रताप सिंह, करगली अध्यक्ष शरण सिंह राणा, बोकारो कोलियरी सचिव किशोरी शर्मा, बोकारो अध्यक्ष हरिमोहन सिंह, करगली वाशरी सहायक सचिव गौतम सेन गुप्ता, बोकारो एक्सकैवेशन सचिव रौशन सिंह आदि मौजूद थे.
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